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परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु क्यों बदलते हैं करवट, जानिए इसका पौराणिक रहस्य

भगवान विष्णु को समर्पित व्रतों में से एक एकादशी व्रत की महिमा महान है तो वहीं पर इस व्रत को करने से विशेष फल भी मिलते है। इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा प्रचलित है जिसका वर्णन महाभारत में मिलता है। 

  • By दीपिका पाल
Updated On: Sep 13, 2024 | 04:22 AM

परिवर्तिनी एकादशी 2024 (सौ.सोशल मीडिया)

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हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का महत्व होता है तो वहीं पर पूजा और विधान किए जाते है। भगवान विष्णु को समर्पित व्रतों में से एक एकादशी व्रत की महिमा महान है तो वहीं पर इस व्रत को करने से विशेष फल भी मिलते है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है ऐसे में परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाने वाला है। इसे लेकर कहा जाता है कि, इस परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु शयनकाल में करवट बदलते हैं। इसलिए यह व्रत मनाया जाता है।

इस व्रत की शुभ तिथि और मुहुर्त

यहां पर परिवर्तिनी एकादशी का व्रत की बात की जाए तो यह 14 सितंबर को रखा जाने वाला है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 सितंबर को रात 10:30 बजे से शुरू होगी. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 14 सितंबर को रात 8:41 बजे समाप्त होगी। कहते है इस व्रत को करने और श्री हरि की पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

जानिए व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

यहां पर परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा प्रचलित है जिसका वर्णन महाभारत में मिलता है।  एक बार युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी एक कथा सुनाई थी. उन्होंने कहा था, त्रेतायुग में मेरा एक भक्त था जिसका नाम असुरराज बलि था वह राक्षस कुल का था, लेकिन उसकी मुझ पर गहरी आस्था थी। श्री कृष्ण ने बताया कि वह प्रतिदिन पूजा-पाठ करता था और यज्ञों के माध्यम से ब्राह्मणों को दान देता था. लेकिन समय के साथ उसे अपनी शक्ति का अहंकार हो गया और उसने इंद्रलोक पर आक्रमण कर उसे जीत लिया. इंद्र और अन्य देवताओं को इंद्रलोक छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

इससे देवता चिंतित हो गए और वैकुंठ धाम पहुंचकर मेरी स्तुति की, जिससे मेरी नींद में खलल पड़ा और मैंने करवट बदली. मैंने देवताओं से कहा कि चिंता मत करो, मैं जल्द ही इसका समाधान करूंगा. इसके बाद मैंने वामन का रूप धारण किया और बलि के पास पहुंचा. मैंने उनसे तीन पग जमीन मांगी और वह तुरंत तैयार हो गया. फिर मैंने एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग माप लिया. मैंने बलि से तीसरे पग के लिए जगह मांगी तो उसने अपना सिर आगे कर दिया. मैंने अपना कदम उसके सिर पर रखा और वह पाताल लोक चला गया।

Why does lord vishnu change sides on parivartini ekadashi

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Published On: Sep 13, 2024 | 04:22 AM

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