प्रयागराज में लगा था पहला मेला,( सौ.सोशल मीडिया)
Mahakumbh 2025: साल 2025 की शुरुआत के साथ ही महाकुंभ मेला का आयोजन 13 जनवरी से 26 जनवरी तक प्रयागराज यानी कि इलाहाबाद में में होने जा रहा है। यह धार्मिक उत्सव 12 साल में एक बार होता है और इसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है।
जिसमें देश-विदेश से लाखों-करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। हर और प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ की चर्चा, लेकिन क्या आप जानते हैं आजाद भारत का पहला कुंभ कब और किस स्थान पर लगा था। आइए आपको बताते हैं-
प्रयागराज में लगा था मेला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आजादी से पहले भी अंग्रेजी सरकार की ओर से कुंभ, अर्धकुम्भ और माघ मेला आयोजित किया जाता था। इस दौरान इंग्लैंड से ऑफिसर आते थे, जो मेले का प्रबंधन देखते थे। वहीं आजाद भारत में पहले कुंभ के आयोजन की बात करें तो ये मेला प्रयागराज में लगा था। आजाद भारत का पहला कुंभ प्रयागराज में साल 1954 में लगा था।
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आजाद देश के पहले कुंभ में पहले राष्ट्रपति ने लगाई डुबकी
महीनों पहले इस कुंभ के आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। इस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मौनी अमावस्या के दिन संगम के तट पर स्नान किया था। इसी दौरान एक हाथी के कंट्रोल से बाहर होने के बाद हादसा हुआ था। बताया जाता है कि इसमें 500 लोगों की जान गई थी। तभी से कुंभ में हाथी के आने पर रोक लगा दी गई थी।
इतना ही नहीं इसी हादसे के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज के संगम में जाने पर रोक का आदेश दे दिया था। आज भी अर्द्धकुम्भ, कुंभ और महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज की एंट्री पर रोक बरकरार है। आजादी के बाद प्रयागराज में लगे इस कुंभ में 12 करोड़ लोग शामिल हुए थे।
कैसे थी कुंभ की व्यवस्था
जानकारों का मानना है कि, इस कुंभ की तैयारियों का जायजा उस समय के यूपी के सीएम गोविंद बल्लभ पंत ने नाव पर और पैदल चलकर लिया था। बताया जाता है कि इस कुंभ में श्रद्धालुओं के इलाज के लिए संगम किनारे सात अस्थाई अस्पताल बनवाए गए थे। भूले भटकों को मिलाने और भीड़ को सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर्स भी थे। साथ ही रौशनी की खातीर कुंभ में 1000 स्ट्रीट लाइटें भी लगवाई गई थीं।