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आश्विन महीने का पहला प्रदोष शुक्रवार को, बन रहे हैं बड़े शुभ संयोग, जानिए इस प्रदोष की महिमा

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सभी दुख और कष्ट दूर होते है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति, धन-धान्य का वरदान मिलता है। आइए जान लेते हैं प्रदोष व्रत के बारे में सबकुछ

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Sep 04, 2025 | 04:50 PM

कब है भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत (सौ.सोशल मीडिया)

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Pradosh Vrat Puja Vidhi: 5 सितंबर, 2025 को भादो महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जा रहा है, प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।

इस बार यह व्रत कई शुभ संयोगों के साथ आ रहा है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है ऐसे में आइए जान लेते हैं पूजा विधि और इस दिन कौन-कौन से शुभ योग पड़ने वाले है।

कब है भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत

आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 05 सितंबर, सुबह 04 बजकर 08 मिनट पर होगी।

वहीं त्रयोदशी तिथि का समापन 06 सितंबर, सुबह 03 बजकर 12 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 5 सितंबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत के दिन बन रहे हैं कई शुभ संयोग:

आपको बता दें, ज्योतिषयों के अनुसार, भाद्रपद महीने के पहले प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं कई शुभ संयोग जो इस प्रकार है-

सर्वार्थ सिद्धि योग

भाद्रपद महीने के पहले प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जिसे ज्योतिष में किसी भी कार्य को शुरू करने या विशेष पूजा-पाठ करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में की गई पूजा का फल निश्चित रूप से मिलता है।

अमृत सिद्धि योग

इसके साथ ही, अमृत सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है। इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम बहुत ही शुभ और स्थायी होता है, और यह मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक माना जाता है।

शुक्रवार का दिन

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह व्रत शुक्रवार को है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित है। इसलिए इस दिन शिव जी की पूजा के साथ-साथ धन और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की उपासना भी की जा सकती है।

इन शुभ संयोगों के कारण, यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम है।

ऐसे करें प्रदोष व्रत पर भगवान भोलेनाथ की पूजा

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • पूरे दिन फलाहार व्रत रखें।
  • शाम के समय प्रदोष काल में पुनः स्नान करें।
  • फिर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  • शिवलिंग को पंचामृत से अभिषेक करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और शमी के पत्ते अर्पित करें।
  • प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और शिव चालीसा का पाठ करें।
  • सबसे आखिर में भगवान शिव की आरती करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें।

जानिए क्या है प्रदोष व्रत की महिमा

सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ को समर्पित प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सभी दुख और कष्ट दूर होते है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति, धन-धान्य और अच्छी सेहत का वरदान मिलता है।

ये भी पढ़ें–श्रीगणेश जी के विसर्जन के समय जरूर करें इन वस्तुओं का दान, घर में आएगी खुशहाली!

खासकर शुक्र प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह विशेष दिन उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारना चाहते है।

मान्यता के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा और व्रत से महादेव अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरी करते हैं।

 

When is the first pradosh fast of bhadrapada month

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Published On: Sep 04, 2025 | 04:47 PM

Topics:  

  • Lord Shiva
  • Pradosh Vrat
  • Religion

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