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दशहरे को शमी की पूजा की क्या है महिमा, क्या है इस पेड़ का रावण से संबंध

shami tree leaves : असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक इस पर्व के दौरान रावण दहन और शस्त्र पूजन के साथ शमीवृक्ष का भी पूजन किया जाता है। यह पेड़ समृद्धि, शांति, और अच्छे भविष्य का प्रतीक मानी जाती है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Sep 27, 2025 | 01:21 PM

दशहरे पर शमी की पूजा क्यों है खास (सौ.सोशल मीडिया)

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Dussehra 2025 Ka Mehtav: शक्ति उपासना महापर्व शारदीय नवरात्रि के बाद पूरे देशभर में दशहरा का पर्व मनाने की विशेष परंपरा है। दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख पर्व है। जो इस बार 2 अक्टूबर 2025 को है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक भी माना जाता है। दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की रक्षा की थी। लेकिन यह दिन सिर्फ रावण दहन तक सीमित नहीं है।

दशहरे पर एक और खास परंपरा निभाई जाती है- शमी वृक्ष की पूजा। शमी पूजन को धर्म, पुराण और ज्योतिष- तीनों ही स्तर पर बेहद शक्तिशाली और फलदायी बताया गया है। ऐसे में आइए जान लेते हैं दशहरे पर शमी की पूजा क्यों खास महत्व दिया जाता है।

दशहरे पर शमी की पूजा क्यों है खास

 

महाभारत से जुड़ी पांडव और शमी वृक्ष का सम्बन्ध

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, शमी वृक्ष का महत्व महाभारत काल से जुड़ा है। जब पांडव अज्ञातवास पर निकले तो उन्होंने अपने सभी शस्त्र एक शमी के पेड़ में छिपा दिए थे। बारह साल बाद जब वे लौटे तो उनके शस्त्र वैसे ही सुरक्षित मिले।

इसी वजह से शमी को शक्ति और विजय का प्रतीक माना गया। तभी से दशहरे के दिन शमी पूजन और शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है।

दशहरे पर शमी पूजा क्यों की जाती है

प्राप्त जानकारी के अनुसार, दशहरे के दिन शमी की पूजा करने का रहस्य विजय और सौभाग्य से जुड़ा है। इस दिन शमी वृक्ष के नीचे दीप जलाकर और उसकी पत्तियाँ भगवान को अर्पित करके पूजा की जाती है। दशहरे पर शमी वृक्ष के पत्ते आपस में बांटने की परंपरा कई राज्यों में प्रचलित है। खासकर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इसे सोना बांटना कहा जाता है।

मान्यता है कि शमी के पत्ते असली सोने के समान शुभ होते हैं। इन्हें घर में रखने से लक्ष्मी का वास होता है और धन-समृद्धि बढ़ती है। यही कारण है कि दशहरे पर लोग शमी के पत्ते घर ले जाकर पूजाघर या तिजोरी में रखते हैं।

क्या है शमी और ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, शमी वृक्ष शनि ग्रह का प्रिय है। दशहरे पर शमी की पूजा करने से शनि दोष शांत होता है, साथ ही करियर और व्यापार में आ रही रुकावटें दूर होती है।

ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति नियमित शमी वृक्ष की पूजा करता है, उसके जीवन में स्थिरता आती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

शमी पूजन करने से क्या लाभ होता है

ज्योतिष एवं शास्त्रों के अनुसार, शमी पूजन करने से जातक को कई लाभ होते हैं जो इस प्रकार है-

  • शत्रु बाधा और संकटों से मुक्ति।
  • शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव का नाश।
  • घर में सुख-शांति और सौभाग्य की वृद्धि।
  • धन और समृद्धि की प्राप्ति
  • कार्यक्षेत्र और व्यापार में सफलता।
  • हर क्षेत्र में विजय और न्याय की प्राप्ति।

शमी पेड़ से रावण का क्या है संबंध

बताया जाता है कि, लंका में रावण ने शमी वृक्ष की विशेष पूजा की थी। इसी कारण इसे युद्ध और विजय से जोड़ा जाता है। दक्षिण भारत में आज भी दशहरे के अवसर पर लोग शमी के वृक्ष के नीचे पूजा कर उसे प्रणाम करते हैं और युद्ध या कार्य की सफलता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

ये भी पढ़ें-नवरात्रि के छठे दिन ‘मां कात्यायनी’ की पूजा, शत्रुओं पर विजय पाने के लिए इन मंत्रों का करें पाठ

धर्म गुरु का मानना है कि, दशहरा सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व नहीं है, बल्कि यह शक्ति और समृद्धि को आमंत्रित करने का अवसर भी है। इस दिन शमी पूजन करने से शत्रु पर विजय, शनि दोष का नाश और धन की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि दशहरे पर शमी की पूजा करना शुभ और आवश्यक माना गया है।

What is the significance of worshipping shami on dussehra

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Published On: Sep 27, 2025 | 01:21 PM

Topics:  

  • Dussehra
  • Navratri
  • Religion
  • Shardiya Navratri

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