करवा का विधि पूर्वक विसर्जन (सो.सोशल मीडिया)
Karwa Chauth 2024: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं और माता करवा देवी की विधिवत पूजा-पाठ करती हैं।
करवा चौथ की पूजा में मिट्टी के करवा यानी मटकी या कलश का विशेष महत्व होता है। करवा का उपयोग सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पूजा में करती हैं। पूजा समाप्त होने के बाद, करवा का क्या करना चाहिए, इसके पीछे कई धार्मिक और पारंपरिक मान्यताएं हैं। आइए जानते है इस बारे में-
मिट्टी का करवा यानी कलश होता है बड़ा शुभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है, इसका संबंध सीता माता से है। मान्यता है कि जब माता सीता, माता द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा था तो उन्होंने चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए मिट्टी के करवे का ही इस्तेमाल किया था। ऐसा माना जाता है कि करवे में अग्नि, हवा, पानी, मिट्टी, आकाश समाहित होता है, इसे शुभ और शुद्ध माना गया है। कभी भी करवा को पूजा के बाद फेंकना नहीं चाहिए।
करवा का कैसे करें विसर्जन
कई स्थानों पर करवा चौथ की पूजा के बाद करवा को किसी नदी, तालाब, या जलस्रोत में विसर्जित किया जाता है। यह जल को पवित्र मानते हुए किया जाता है, ताकि पूजा की ऊर्जा प्रकृति में वापस जाए। कुछ परंपराओं में करवा को पूजा के बाद तुलसी या अन्य पवित्र पौधों के पास रखा जाता है। इससे घर में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कुछ महिलाएं करवा को पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान में दे देती हैं। यह एक दान की भावना को बढ़ावा देने वाली परंपरा है, जिससे पुण्य की प्राप्ति मानी जाती है। कुछ महिलाएं पूजा के करवा को अगले साल की करवा चौथ पूजा तक संभाल कर रखती हैं, और इसे फिर से पूजा में इस्तेमाल करती हैं। इससे पूजा का सिलसिला निरंतर रहता है।