मोक्षदा एकादशी में क्या करना चाहिए। (सौ. Design)
Mokshada Ekadashi Upay: मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत मन, बुद्धि और आत्मा को निर्मल करने वाला एक गहरा आध्यात्मिक साधन माना जाता है। प्रत्येक वर्ष कुल 24 एकादशियाँ होती हैं, और मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, पंचांग के अनुसार, यह तिथि 30 नवंबर को रात 9:29 बजे शुरू होकर 1 दिसंबर को शाम 7:01 बजे तक रहेगी, इसलिए उदयातिथि के अनुसार यह व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ‘मोक्षदा’ का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने से जातक और उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो साधक निष्ठा और नियमपूर्वक यह व्रत करता है, उसके पाप क्षीण होते हैं और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भगवान विष्णु की कृपा से मानसिक तनाव कम होता है, घर-परिवार में सुख-शांति बढ़ती है, और जीवन में सौभाग्य और संपन्नता का आगमन होता है। इस दिन व्रत करने से जीवन खुशियों से भर सकता है और धन-धान्य में वृद्धि के साथ करियर में दोगुनी ग्रोथ मिल सकती है।
ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी पर शाम को प्रदोष काल में कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से पैसों की तंगी से राहत मिल सकती है और जीवन में तरक्की प्राप्त होती है।
1. घर के मंदिर में भगवान के समक्ष: पूजा के समय घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से परिवार के सभी सदस्यों पर कृपा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। यह उपाय जीवन की समस्याओं से निजात दिलाता है।
2. तुलसी के पौधे के पास: तुलसी को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है। तुलसी के पास दीपक जलाने से धन की देवी लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त होती है। यह उपाय पैसों से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है, धन-धान्य में वृद्धि करता है, और जातक को फिजूलखर्ची से भी राहत दिलाता है। दीपक जलाते समय अपनी इच्छा अवश्य बोलनी चाहिए।
3. मुख्य द्वार पर: शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से घर से नकारात्मक शक्तियां और ऊर्जाएं दूर होती हैं। इससे माता लक्ष्मी का वास होता है, परिवार के सदस्यों को जीवन में तरक्की मिलती है, और परिवार में आपसी प्रेम बढ़ता है।
4. घर के आंगन में: एकादशी की शाम को प्रदोष काल में घर के आंगन में भी दीपक अवश्य जलाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता बनी रहती है। यदि घर में क्लेश या तनाव हो, तो दीपक के साथ कपूर भी जलाना चाहिए, जिससे गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है।
5. किसी पवित्र नदी के पास: मोक्षदा एकादशी की शाम किसी पवित्र नदी के पास दीपक जलाना जीवन में खुशहाली बनाए रखता है। पितरों के नाम से एक दीपक अवश्य जलाएं। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, और जातक के जीवन में तरक्की के मार्ग खुलते हैं। यह उपाय कारोबार में आ रही बाधाओं को भी दूर करता है।
यह एकादशी तिथि गीता जयंती के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
गीता का पाठ और दान: इस पवित्र दिन पर श्रीमद्भगवद्गीता का संपूर्ण पाठ करना चाहिए, या अगर यह संभव न हो तो कम से कम 11वें अध्याय का पाठ अवश्य करें। साथ ही, किसी मंदिर या ब्राह्मण को भोजन कराकर श्रीमद्भगवद्गीता का दान करने से ज्ञान और मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।
मोरपंख की स्थापना: पूजा घर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ एक या तीन मोरपंख स्थापित करें। एकादशी के दिन इन्हें शुद्ध जल से धोकर धूप-दीप दिखाएं। आर्थिक तंगी दूर करने के लिए पूजा के बाद इस मोरपंख को उठाकर तिजोरी या धन स्थान पर रख दें। यह उपाय मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और धन आगमन के द्वार खोलता है। घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पूजा विधि: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, पीले वस्त्र पहनें। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा में पीले फूल, फल, धूप, दीप और तुलसी पत्र जरूर शामिल करें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर व्रत का पारण करें, तभी व्रत के पूर्ण फल मिलते हैं।
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एकादशी तप, संयम और सतर्कता का दिन है, इसलिए कुछ गलतियाँ करने से बचना आवश्यक है।
तुलसी दल न तोड़ें: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन तुलसी को छूना या पत्ते तोड़ना वर्जित है। पूजा में पहले से तोड़ा हुआ तुलसी दल ही उपयोग करें।
तामसिक भोजन: व्रत के दिन सात्विक आहार आवश्यक है। लहसुन, प्याज और तमस प्रवृत्ति वाले खाद्य पदार्थों से पूरी तरह बचना चाहिए क्योंकि ये पवित्रता को प्रभावित करते हैं।
आलस्य और क्रोध: बहुत देर तक सोना या दोपहर में विश्राम करना आध्यात्मिक ऊर्जा को कम करता है। एकादशी सिर्फ शरीर का नहीं, मन और वाणी का भी व्रत है, इसलिए कठोर शब्द कहना, क्रोध करना या नकारात्मक विचार रखना व्रत के प्रभाव को कम करता है।