महाकुंभ 2025, प्रयागराज
महाकुंभ से जुड़ें प्रयागराज के अक्षयवट का महत्व मिलता है दरअसल 300 साल पहले के इस वट में स्नान के बाद दर्शन के लिए आने पर इसका शुभ फल मिलता है। कहते हैं जो भी इस अक्षयवट के दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं यहां पर आने से पूरी हो जाती है।
अक्षयवट को लेकर पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु श्रीराम वन जाते समय संगम नगरी में भारद्वाज मुनि के आश्रम में जैसे ही पहुंचे उन्हें, मुनि ने वटवृक्ष का महत्व बताया था. मान्यता के अनुसार, माता सीता ने वटवृक्ष को आशीर्वाद दिया था. तभी प्रलय के समय जब पृथ्वी डूब गई तो वट का एक वृक्ष बच गया, जिसे हम अक्षयवट के नाम से जानते हैं। इस वट को चार वटों में से एक मानते है इसका उल्लेख रघुवंश के दौरान हुआ है।
महाकुंभ के समय यहां पर आने का महत्व होता हैं इसलिए उत्तप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अक्षयवट कॉरिडोर सौंदर्यीकरण योजना के अंतर्गत इसे संवारने की तैयारी की है। बताया जाता हैं कि, इस वृक्ष के दर्शन दुर्लभ है नष्ट करने पर कभी अस्तित्व नहीं मिटता है। बीते साल पहले उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने विगत 2018 में अक्षयवट का दर्शन व पूजन करने के लिए इसे आम लोगों के लिए खोल दिया था।