जगन्नाथ रत्न भंडारा
भुवनेश्वर : ओडिशा सरकार द्वारा 14 जुलाई को पुरी जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 सालों बाद खोला गया। इससे पहले इस भंडारे को 1978 में खोला गया था। रत्न भंडारे को खोलते वक्त 11 लोग मौजूद थे। भंडारे का दरवाजा खुलने के बाद खजाने का पुराने लिस्ट से मिलान होना था।
उससे पहले रत्न भंडारे को लेकर ओडिशा सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने चौकाने वाला खुलासा किया है।
जस्टिस रथ ने कहा कि हमने ओडिशा सरकार से आविष्कार (इन्वेंटरी) प्रक्रिया के दौरान आभूषणों, रत्नों और अन्य कीमती सामानों की पहचान करने के लिए आदमी और मशीनें उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। सबसे पहले हम 1978 की सूची को ध्यान में रखते हुए रत्न भंडार के अंदर संग्रहीत कीमती सामानों की एक सूची तैयार करेंगे।
जिससे मिलान करेंगे की अब कौन से आभूषण उपलब्ध हैं। आशंका तो है, लेकिन मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान की कोई संपत्ति गायब न हो। इनवेंटरीजेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चीजें स्पष्ट होंगी।
जस्टिस रथ ने समिति के गठन से लेकर रत्न भंडार खोलने और उसके बाद रत्न भंडार से कीमती सामान स्थानांतरित करने तक की पूरी यात्रा पर प्रकाश डाला है। उन्होंने पहले रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियों का जिक्र किया। जिसके भीतरी कक्ष में 3 ताले थे। हालांकि, उन्हें एक पैकेट के अंदर एक छोटे सीलबंद कवर के अंदर केवल 2 चाबियां मिलीं, जिसमें आभूषणों की एक सूची भी थी।
जस्टिस रथ ने कहा है कि कोई भी इंसान सोच सकता है कि ये तो डुप्लीकेट चाबियां हैं, इसलिए सारे ताले इन्हीं 2 चाबियों से खुलेंगे लेकिन कोई भी ताला चाबी से नहीं खुला। हालांकि हमारी एसओपी पहले से ही तैयार थी, इसलिए हमने तीनों ताले तोड़कर रत्न भंडार में प्रवेश किया क्योंकि चाबियां काम नहीं कर रही थीं।
जस्टिस रथ के मुताबिक पहले से मुझे डुप्लीकेट चाबियों के बारे में तथ्य दिए गए थे। मुझे यकीन था कि कटक के बक्सी बाजार में केवल कुछ व्यक्ति ही ऐसी डुप्लीकेट चाबियां तैयार कर सकते हैं। इसलिए मुझे यकीन था कि रत्न भंडार इन चाबियों से नहीं खुलेगा। मैं लगभग निश्चित था कि चाबियां तैयार थीं और ये काम नहीं करेंगी क्योंकि 2018 में भी प्रयास विफल हो गए थे। हम इस बार ताले तोड़कर रत्न भंडार में प्रवेश करने के लिए तैयार थे।
जस्टिस रथ के मुताबिक जिस पैकेट में डुप्लीकेट चाबियां थीं और उसमें जो लिस्ट मिली है, वह 1978 की बताई जा रही है। हालांकि मुझे इस पर आशंका है क्योंकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सूची 2018 में बनाई गई हो, जब डुप्लीकेट चाबियां पाई गईं थीं। अगर यह सूची 1978 में रखी गई होती तो असली चाबियां भी उसी पैकेट में होतीं।
कलेक्टर, मुख्य प्रशासक समेत 2018 के तत्कालीन अफसरों ने चाबियां मिल जाने का दावा किया था और कहा था कि डुप्लीकेट चाबियां ट्रेजरी में थीं। मुझे ऐसी आशंका है कि 2018 में ही सूची भी तैयार की गई होगी। 1985 के बाद रत्न भंडार नहीं खुला तो इसकी स्थिति की कल्पना करना स्वाभाविक था। न्यायमूर्ति रथ ने कहा कि मिट्टी के दीपक से पूजा करने के बाद हमने सबसे पहले रत्न भंडार के अंदर प्रवेश किया और सबसे पहले उसमें रखी कुछ छोटी मूर्तियां देखीं।
जस्टिस विश्वनाथ रथ ने खुलासा किया कि रत्न भंडार के अंदर एक लकड़ी की अलमारी बंद थी। हालांकि 2 अन्य लकड़ी की अलमारियों में ताले का प्रावधान था, लेकिन ताले की स्थिति उचित नहीं थी। एक अन्य लोहे के संदूक में दो ताले लगे थे लेकिन एक ताला खुला था।
लकड़ी के दो संदूकों में ताले नहीं थे। 1978 में, तत्कालीन सीएम, राज्यपाल और अन्य सहित प्रमुख हस्तियां रत्न भंडार के अंदर गईं थीं। मैं विश्वास नहीं कर सकता कि उन्होंने इन्वेंटरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ताले खुले छोड़ दिए होंगे। ओडिशा सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इन्वेंटरी प्रक्रिया 1978 की सूची के अनुसार की जाएगी और एक एसओपी तैयार की गई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)