कादर खान (सौजन्य: सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉलीवुड एक्टर कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। कादर खान की आज बर्थ एनिवर्सरी है। कादर खान साल 2018 में कनाडा की धरती पर आखिरी सांस से ली थी। हालांकि, जिंदगी के सफर के बीच उन्होंने हिंदी सिनेमा में अतुल्य योगदान दिया। 300 से अधिक फिल्मों में नजर आ चुके कादर खान ने अपने अभिनव से पर्दे पर जादू बिखेरा था, साथ ही उन्होंने अपनी कलम से कमाल कर दिखाने का हुनर भी रहा था।
हिंदी सिनेमा पर अमित छाप छोड़ जाने वाले कादर खान का बचपन काफी संघर्षों से भरा था। बचपन में ही एक्टर के माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद एक्टर के मामा और नाना ने उनकी मां की दूसरी शादी करा दी थी। इसके बाद कादर खान अपने पेरेंट्स के साथ मुंबई आ गए। वहां पर वह झुग्गी झोपड़ियां में रहे। इस दौरान एक्टर के परिवार की हालत बेहद खराब थी।
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कादर खान ने इतनी गरीबी देखी है कि उनके सौतेले पिता उन्हें भी मांगने तक के लिए भेज देते थे। कादर खान मस्जिद में जाकर भीख मांगते थे। इसके बाद कादर अपने परिवार के साथ सप्ताह में तीन दिन खाना खाते थे और चार दिन भूखा रहते थे। इन सब हालातों के बीच कादर खान के दिमाग में कब और कैसे एक्टिंग का कीड़ा आया, ये बात उन्हें भी नहीं पता।
कादर खान का बचपन से ही लोगों की नकल उतारते थे। जब कादर खान को कोई कुछ बोलता था, इससे उनका दिल दुखता था, तो वह अक्सर मस्जिद के पास वाले कब्रिस्तान में बैठकर उन्हें बातों को अपने अलग अंदाज में दोहराया करते थे। उनके बचपन का ज्यादातर समय कब्रिस्तान में दो कब्रों के बीच बैठ किसी न किसी की नकल करते हुए गुजरा था और इसी आदत ने उनकी किस्मत पलट दी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन जब कादर खान कब्रिस्तान में किसी की नकल कर रहे थे उसे दौरान ही उन्हें अशरफ खान ने नाटक में काम करने का ऑफर दिया। धीरे-धीरे उनका नाटक लोकप्रिय होता गया, ऐसे में उनके एक ड्रामा ‘ताश के पत्ते’ के बारे में दिलीप कुमार को खबर हुई। दिलीप कुमार एक्टर के काम से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने कादर खान को फिल्म में काम करने का ऑफर दे डाला। फिल्मों में काम करने का मौका मिलते ही कादर खान ने अपने हर किरदार को पूरी शिद्दत से पर्दों पर उतारा।