सुप्रीम कोर्ट और अजित पवार (ANI)
मुंबई. महाराष्ट्र की बीजेपी नीत महायुति सरकार को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से सर्वोच्च झटका लगा। एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महायुति में शामिल एनसीपी (अजित पवार) से साफ शब्दों में पूछ लिया कि आप को अयोग्य क्यों न ठहराया जाए। कोर्ट ने इस तीखे सवाल का जवाब देने के लिए अजित और उनके गुट के 41 विधायकों को 4 सप्ताह का समय दिया है। इस मामले में अब कोर्ट 3 सितंबर को फिर से सुनवाई कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन चल रहे एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले में कई महीनों के बाद सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने अजित गुट से सीधे तौर पर तीखा सवाल पूछ लिया। इस बारे में एड. सिद्धार्थ शिंदे ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने अजित गुट से पूछा, आपको अयोग्य क्यों न घोषित किया जाए?
गौरतलब है कि इस मामले में चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष ने अजित गुट के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था, जिसके बाद एनसीपी शरद पवार ने चुनाव आयोग व विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़, न्यायाधीश जे.बी. पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ ने शरद पवार गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया कि राज्य विधानसभा के बचे हुए संक्षिप्त कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। राज्य विधानसभा का कार्यकाल इस वर्ष नवंबर में समाप्त हो रहा है।
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पीठ ने कहा कि वह शरद पवार गुट के विधायकों जयंत पाटिल और जितेंद्र आव्हाड की अर्जी पर उद्धव ठाकरे खेमे की इसी तरह की याचिका पर सुनवाई के तुरंत बाद विचार करेगी। उद्धव ठाकरे गुट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों के पक्ष में विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए इसी तरह की याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “हम नोटिस जारी करेंगे। विचारणीयता के आधार समेत सभी आपत्तियों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।”
इस मामले में महायुति सरकार के लिए दूसरा झटका यह रहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह मान लिया है कि महायुति में शामिल शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच का विवाद भी एनसीपी अजित और एनसीपी शरद पवार जैसा ही है। शिवसेना (उद्धव गुट) की शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही विचाराधीन है। हालांकि शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक भरत गोगावले ने मुंबई उच्च न्यायालय में उद्धव गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दायर की है लेकिन उनकी याचिका को सिर्फ टाइम पास करने का प्रयास भर माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इन दोनों मामलों में एक साथ सुनवाई करने का निर्णय लेकर शिंदे गुट को भी बड़ा झटका दिया है। सितंबर महीने से कोर्ट इन दोनों मामलों में नियमित सुनवाई कर सकता है।0
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 15 फरवरी को अपने फैसले में कहा था कि अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है। अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर कई विधायकों के साथ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गये थे। नार्वेकर ने प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। (एजेंसी इनपुट के साथ)