ठाणे : केंद्र (Central) और राज्य सरकार (State Government) हजारों करोड़ रूपए ठाणे महानगरपालिका (Thane Municipal Corporation) को स्मार्ट सिटी योजना (Smart City Scheme) के लिए दे रही है। लेकिन ठाणे में स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत आने वाली ईआरपी योजना (ERP Scheme) गत तीन सालों से दम तोड़ रही है। तीन वर्षों में इस योजना से संबंधित केवल 5% कार्यों को ही पूरा किया जा सका है। जबकि इस योजना से संबंधित राशि में से 15% की अदायगी कर दी गई है।
ठाणे महानगरपालिका के प्रत्येक विभाग में तंत्रज्ञान का उपयोग उसे स्मार्ट बनाने हेतु ईआरपी योजना अमल में लाई गई थी। तीन साल पहले ठाणे स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस योजना पर भी काम शुरू हुआ था। उस समय यह आशा व्यक्त की गई थी कि इस योजना के 100% कार्यान्वयन के बाद ठाणे महानगरपालिका के विभिन्न विभागों के कार्य निष्पादन की क्षमता में आशातीत वृद्धि होगी। लेकिन वैसा कुछ नहीं हो पाया है। ईआरपी योजना ठाणे शहर में दम तोड़ रही है। एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) अर्थात उद्यम संसाधन प्रकल्प माहिती और तंत्रज्ञान विभाग के माध्यम से वर्ष 2019 में अमल में लाया गया था। ईआरपी योजना के तहत होने वाले कार्यों को एक साल के भीतर पूरा किया जाना था। लेकिन अब तक ठेकेदार ने केवल 5% कार्य ही पूरा किया है। जबकि ठेकेदार को 15% बिल की अदायगी भी कर दी गई है।
ईआरपी योजना के तहत लगभग 14 करोड़ खर्च किए जाने वाले थे। लेकिन इससे संबंधित 10% से अधिक बिलों की अदायगी कर दिए जाने की बात सामने आई है। स्वप्निल महिंद्रकर ने इस मामले का पर्दाफाश किया है। ईआरपी योजना के तहत ठाणे महानगरपालिका के विभिन्न विभागों घनकचरा, सार्वजनिक बांधकाम विभाग, आस्थापना, फायर, संपत्ती, लेखापरीक्षण, कायदा, भांडार, सार्वजनिक बांधकाम, सुरक्षा, समाजकल्याण, जलापूर्ति विभाग आदि की कार्य क्षमता बढाई जानी थी। यानी इन विभागों की कार्यशैली को भी स्मार्ट बनाने की योजना थी। तीन सालों में कुछ भी काम नहीं हो पाए। कर्मचारियों के दृष्टिकोण से एच.आर.एम.एस (मानव संसाधन व्यवस्थापन प्रणाली एक महत्वपूर्ण प्रकल्प था। लेकिन तीन सालों में केवल 5% काम ही पूरे हो पाए। परिणामस्वरूप ठाणे महानगरपालिका के किसी भी विभागों की कार्यप्रणाली को स्मार्ट नहीं बनाया जा सका। उन्होंने एक और सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि ठाणे में ठाणे स्मार्ट सिटी लिमिटेड वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया है। ठाणे में स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत जो भी काम किए जा रहे थे, उनकी जानकारी इस वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जा रही थी। कौन सा कार्य कितना हुआ और कितना बाकी है, इसकी अद्यतन जानकारी लोगों को मिल रही थी।
इस मामले को लेकर मनसे के जनहित और विधि विभाग के ठाणे अध्यक्ष स्वप्निल महिंद्रकर ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में ठेकेदारों और ठाणे महानगरपालिका प्रशासन के बीच मिलीभगत है। जिस कारण उक्त योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। महिंद्रकर का आरोप है कि गत एक महीने से इस वेबसाइट को भी ठाणे महानगरपालिका प्रशासन ने बंद कर दिया है। उन्होंने ठाणे महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. विपिन शर्मा से मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। साथ ही दोषी ठेकेदार और कामचोर महानगरपालिका अधिकारियों पर भी प्रशासनिक कार्रवाई हो।