ठाणे महानगरपालिका ने ऋण मुक्ति की मांग (photo credit, social media)
ठाणे : महानगरपालिका प्रशासन ने एक बार फिर सरकार से 468 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण की मांग का मुद्दा उठाया है। जब कि केंद्र सरकार ने एक महीने पहले ही ठाणे महानगरपालिका को करीब 200 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया था। इससे पहले भी दो चरणों में 213 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण लिया गया था।
धर्मराज्य पार्टी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में ठाणे नगर निगम द्वारा बार-बार ऋण की मांग की सीधे आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि यह नगर निगम के कुप्रबंधन की स्वीकृति है। ठाणे नगर निगम की ऑडिट रिपोर्ट में गंभीर आपत्तियां और हर साल अरबों रुपए का लगातार बढ़ता घाटा इसका कारण है।
मुख्य लेखा परीक्षक करें प्रस्तुत
धर्मराज्य पार्टी के उपाध्यक्ष नितिन देशपांडे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य के प्रधान सचिव गोविंदराज को लिखे पत्र में आगे कहा कि महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम-105 के अनुसार, मुख्य लेखा परीक्षक को नगर निगम के खातों का साप्ताहिक लेखा परीक्षण करना होता है। उसे स्थायी समिति या प्रशासकों को प्रस्तुत करना होता है। अधिनियम-106 के अनुसार, महालेखा परीक्षक के लिए प्रत्येक सरकारी वर्ष की समाप्ति के बाद यथाशीघ्र इसे स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है। महाराष्ट्र नगर परिषद लेखा संहिता-1971 के नियम 60 के अनुसार वार्षिक लेखों का सारांश 31 जुलाई से पहले लेखा विभाग के माध्यम से मुख्य लेखा परीक्षक को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
नगरपालिका की वित्तीय स्थिति को समझना मुश्किल
नितिन देशपांडे ने अपने पत्र में कहा, हालांकि, हकीकत में अंतिम सारांश प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिससे नगरपालिका की वित्तीय स्थिति को समझना मुश्किल हो जाता है। जैसा कि 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है। हमें इस पर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। ठाणे नगर निगम के मुख्य लेखा परीक्षक दिलीप सूर्यवंशी द्वारा हस्ताक्षरित 2020-21 और 2020-22 की ऑडिट रिपोर्ट, कई अनुरोधों के बाद, हाल ही में बिना तारीख के निगम की वेबसाइट पर प्रकाशित की गईं। क्या वर्ष 2025 में एक साथ दो ऑडिट रिपोर्ट प्रकाशित करना कानून का उल्लंघन नहीं है? यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है और खराब गुणवत्ता वाले कार्य का संकेत है।
करदाताओं के साथ धोखाधड़ी
नितिन देशपांडे ने अपने पत्र में कहा कि बकाया राशि वसूलने के लिए कोई प्रभावी उपाय किए बिना बार-बार ऋण की मांग करना करदाताओं के साथ धोखाधड़ी है। क्या यह पारदर्शी प्रशासनिक शासन का उदाहरण हो सकता है? इस बीच, ठाणे नगर निगम का बकाया पिछले दो वर्षों में 41 करोड़, 99 लाख, 97 हजार, 948 रुपये बढ़ गया है।
चार साल पहले ठाणे महानगरपालिका के जनप्रतिनिधियों से 1,000 करोड़ रुपए उधार लेने का प्रस्ताव महासभा में मंजूर किया गया था। उस समय, ठाणे के करदाताओं द्वारा इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया गया था, जिसमें धर्मराज्य पार्टी ने भी विरोध किया था।इसके जवाब में सरकार ने ऋण देने के बजाय मितव्ययिता उपाय अपनाने की सलाह दी थी। साथ ही धन उधार लेने से परहेज किया। इसकी अगले तीन वर्षों की लेखापरीक्षा रिपोर्ट लंबित है।