महाराष्ट्र निकाय चुनाव (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: पुणे जिले में हाल ही में संपन्न हुए नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों के नतीजों ने जिले की राजनीतिक सरगर्मी को चरम पर पहुंचा दिया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की प्रभावशाली जीत ने विपक्षी खेमे में हलचल पैदा कर दी है।
इस चुनावी लहर के बीच अब सबकी निगाहें आगामी पुणे महानगर पालिका (पीएमसी) चुनाव पर टिकी हैं, जहां महाविकास आघाड़ी और महायुति दोनों को ही अपनी पुरानी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। पुणे की राजनीति में इस समय सबसे बड़ी चर्चा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों अजीत पवार और शरद पवार के एक साथ आने की है।
सूत्रों की मानें तो पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे मनपा में भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए दोनों गुटों के बीच पर्दे के पीछे मंथन शुरू हो चुका है। इस पूरी नक्रिया में अजीत पवार और सुप्रिया सुले की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है।
हालांकि, अजीत पवार वर्तमान में महायुति सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी स्वतंत्र ताकत दिखाने के बाद अब वे अपनी राजनीतिक शक्ति को और सुदृढ़ करने में जुटे हैं। जिले की 10 नगर परिषदों में अजीत पवार गुट के शानदार नदर्शन ने उन्हें सौदेबाजी की मेज पर मजबूत स्थिति में खड़ा कर दिया है।
भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही ‘इनकमिंग’ ने विपक्षी दलों की चिंता बढ़ा दी है। इसके जवाब में रविवार को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की उपस्थिति में एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन हुआ। कांग्रेस के पूर्व नगरसेवक राशिद शेख और सचिन बराटे, उद्धव गुट की श्वेता चव्हाण तथा मनसे की अस्मिता शिंदे ने एनसीपी का दामन थाम लिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में और भी कई बड़े चेहरे पाला बदल सकते हैं।
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एक तरफ जहां विपक्षी गठबंधन अपनी एकजुटता पर विचार कर रहा है, वहीं भाजपा ने चुनावी मोड में आते हुए आक्रामक रुख अपना लिया है। पार्टी ने 2000 से अधिक इच्छुक उम्मीदवारों के साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी कर ली है। पहली सूची 25 या 26 दिसंबर को घोषित होने की संभावना है. भाजपा ‘महायुति’ के बैनर तले एकजुट होकर उतरने की तैयारी में है, ताकि मतों का बिखराव रोका जा सके। यदि दोनों एनसीपी गुट एकजुट होते हैं, तो सबसे पेचीदा सवाल महाविकास आघाड़ी के भविष्य पर खड़ा होगा, क्या कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना अजीत पवार को दोबारा स्वीकार करेंगे?।