नामको बैंक की वार्षिक बैठक में हंगामा, सत्ताधारी गुट ने प्रस्ताव पारित किया, विरोधियों ने रद्द किया
Nashik News: नाशिक मर्चेंट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (नामको बैंक) की वार्षिक आम बैठक में बैंक को स्मॉल फाइनेंस बैंक में रूपांतरित करने के प्रस्ताव को लेकर भारी हंगामा हुआ| इस हंगामे के बीच सत्ताधारी गुट ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जबकि विपक्षी सदस्यों ने अलग बैठक कर इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया और सत्ताधारी गुट के रवैये का कड़ा विरोध किया|
शनिवार, 20 सितंबर को बैंक की प्रशासनिक इमारत में अध्यक्ष हेमंत धात्रक की अध्यक्षता में यह वार्षिक आम बैठक आयोजित की गई थी| पहले से ही बैठक के हंगामेदार होने के संकेत मिल रहे थे, जो सच साबित हुए|
बैठक की शुरुआत में अध्यक्ष हेमंत धात्रक ने बैंक की प्रगति का ब्यौरा प्रस्तुत किया| कुल 16 विषय चर्चा के लिए रखे गए थे| पहले 14 विषयों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया| लेकिन जैसे ही 15वें और 16वें विषय के रूप में बैंक को स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलने का प्रस्ताव सामने आया, सभा में शोरगुल शुरू हो गया| पूर्व अध्यक्ष गजानन शेलार ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की, जिसके बाद थोड़ी देर के लिए बैठक फिर से शुरू हुई|
उपाध्यक्ष सुभाष नहार, जनसंपर्क निदेशक शीतल भट्टड़, वसंत गीते, सोहनलाल भंडारी, नरेंद्र पवार, गणेश गीते, आकाश छाजेड़, प्रकाश दायमा, विजय साने, ललितकुमार मोदी, हरीश लोढ़ा, महेंद्र मुरड, अशोक सोनजे, रंजन ठाकरे, प्रशांत दिवे, सपना बागमार, तानाजी जायभावे, देवेंद्र पटेल, और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्राम दीक्षित|
सत्ताधारी गुट की कार्यशैली का विरोध करते हुए विपक्षी सदस्यों ने उसी स्थल पर अलग बैठक की और बैंक को स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलने के प्रस्ताव को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया| उनका कहना था कि यह फैसला बिना पारदर्शिता और सहमति के लिया गया है और वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे|
हेमंत धात्रक, अध्यक्ष, नामको बैंक ने कहा, “स्मॉल बैंकिंग का प्रस्ताव बैठक में ध्वनिमत से पारित हुआ| जब जिला बैंक मुश्किल में है, तब स्मॉल बैंकिंग के बाद 70 से 80 प्रतिशत किसानों को आसानी से ऋण मिलेगा| यह 4 से 5 साल की प्रक्रिया है, और इससे सदस्यों के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा|”
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गजानन शेलार, पूर्व निदेशक ने कहा, “कई सदस्यों के विरोध के बावजूद, यह प्रस्ताव तानाशाही तरीके से पारित किया गया है| हंगामे के दौरान ही राष्ट्रगान शुरू कर दिया गया, जो राष्ट्रगान का अपमान है| हमने अपनी बैठक में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट भी जाएंगे|”