नागपुर हिंसा (सौजन्य-एएनआई)
नागपुर: नागपुर के महल में 17 मार्च को हुए दंगे को लेकर पूर्व अनुमति लेकर जाने के बावजूद ज्ञापन देने पहुंचे शिष्टमंडल से मिलने से आयुक्त द्वारा इनकार कर दिया गया। इसी तरह से विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल द्वारा किए गए आंदोलन के अनुचित आचरण पर तुरंत एक्शन नहीं लिए जाने से शहर में दंगे की घटना हुई। अत: दंगे के लिए जिम्मेदार इन आंदोलनकर्ताओं तथा मूकदर्शक बने संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए पत्र परिषद लेने की जानकारी मिलिंत पखाले ने दी।
अलग-अलग संगठनों की संयुक्त पत्र परिषद में उन्होंने कहा कि शहर में बड़ी संख्या में बहु-भाषी, बहु-धार्मिक और बहु-क्षेत्रीय लोग रहते हैं। यहां शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंध पहले कभी भी खराब नहीं हुए। हालांकि यह महसूस किया गया कि दंगों की अप्रिय घटना से यह प्रतिष्ठा धूमिल हो गई है।
दंगें के शिकार मृतक इरफान अंसारी का कानूनन मृत्यु पूर्व बयान दर्ज कराना आवश्यक था लेकिन इसे नहीं लिया गया। सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता पखाले ने कहा कि भीड़ द्वारा उनकी हत्या किए जाने के बाद भी इस मामले में बमुश्किल कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया। यहां सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विरुद्ध बुलडोजर से मकान ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। नियमों और कानून को ताक पर रखकर हुई यह कार्रवाई निदंनीय है।
फिल्म का इस्तेमाल जन भावनाओं को भड़काने के लिए किया जा रहा है। फिल्म छावा के रिलीज होने के बाद सामाजिक माहौल प्रदूषित हुआ। पत्र परिषद में मिलिंद पखले, छाया खोबरागड़े, सुषमा भड़, सुनील सारिपुत्ता, सुधांशु मोहोड, अपेक्षा दीवान, जया देशमुख, विशाल वानखेड़े, कल्पना मेश्राम, विजय बाबुलकर, डॉ. बीना नगराले, आशा गोपालपुरे, पुंडलिक तायडे, रूपेश कांबले, रेशमा कांबले, नंदा देशमुख आदि उपस्थित थे।
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नागपुर में 17 मार्च को हिंसा भड़की थी। इस हिंसा में 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। नागपुर पुलिस ने इस हिंसा के मास्टरमाइंड को फहीम खान को गिरफ्तार किया। साथ ही इस पर एक्शन लेते हुए आरोपी फहीम खान के घर पर अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन भी लिया।