मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (सोर्स: सोशल मीडिया)
BJP Candidates Interview NMC Election: नागपुर महानगरपालिका (NMC) चुनाव 2026 की रणभेरी बजते ही राजनीतिक हलचल अपने चरम पर पहुँच गई है। मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही भाजपा ने अपनी चुनावी बिसात बिछाने की तैयारी तेज कर दी है। लेकिन इस बार पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बाहरी विरोध नहीं, बल्कि आंतरिक बगावत है। यही कारण है कि भाजपा ने इस बार उम्मीदवारों के चयन के लिए ‘फिल्टर’ प्रक्रिया को बेहद कड़ा कर दिया है।
पिछले 15 दिनों से शहर के 6 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा इच्छुकों के साक्षात्कार ले रही है। गणेशपेठ स्थित पार्टी कार्यालय में 19 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति के समक्ष जब दावेदार पेश हुए, तो उनसे एक ऐसा सवाल पूछा गया जिसने कई दिग्गजों को पसीने ला दिए। पैनल ने सीधा सवाल दागा “यदि पार्टी आपको टिकट नहीं देती है, तो क्या आप बगावत करेंगे?”
आंतरिक सूत्रों के अनुसार, इस सवाल पर कई दावेदारों ने चुप्पी साध ली, तो कुछ ने “पार्टी हित सर्वोपरि” का राग अलापते हुए अनुशासन का परिचय दिया। भाजपा इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती, इसलिए वह लिखित और मौखिक दोनों स्तरों पर निष्ठा की पुष्टि कर रही है।
नागपुर मनपा की कुल 151 सीटों के लिए भाजपा के पास रिकॉर्ड 1652 इच्छुकों ने साक्षात्कार दिया है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो एक सीट पर औसतन 11 दावेदार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। टिकटार्थियों की इस भारी भीड़ पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी चुटकी लेते हुए कहा था कि स्थिति ऐसी है कि “कपड़े फाड़ने की नौबत आ गई है।”
इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी ने शहर के विधायकों और प्रमुख पदाधिकारियों के साथ ‘रामगिरी’ में मैराथन बैठकें की हैं। इन बैठकों का एकमात्र एजेंडा टिकट वितरण के बाद पैदा होने वाले असंतोष को समय रहते नियंत्रित करना है।
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भाजपा के भीतर एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो इस बार ‘महायुति’ (गठबंधन) के बजाय अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में दिख रहा है। नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों में मिली अभूतपूर्व सफलता ने कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि गठबंधन होता है, तो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं के हिस्से में सीटें कम आएंगी, जिससे बगावत की आग और भड़क सकती है। फिलहाल शीर्ष नेतृत्व इस पर मौन है, लेकिन नामांकन की बढ़ती तारीखों के साथ ही स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है।
साक्षात्कार के दौरान केवल बगावत ही नहीं, बल्कि उम्मीदवारों के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को भी खंगाला जा रहा है। लोकसभा और हालिया विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार ने कितनी सक्रियता दिखाई, संगठन में उनकी क्या भूमिका रही और उनके प्रभाग में उनकी पकड़ कितनी मजबूत है— इन सभी बिंदुओं पर बारीकी से विचार किया जा रहा है। मंगलवार से जोन कार्यालयों में नामांकन फॉर्म उपलब्ध हो गए हैं और भाजपा अब इस बात पर कड़ी नजर रख रही है कि आधिकारिक सूची से पहले कौन-कौन से ‘निष्ठावान’ फॉर्म खरीद रहे हैं।