कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur News In Hindi: महाराष्ट्र सरकार की रेत नीति-2025 और नागपुर कलेक्टर द्वारा तैयार की गई जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 को चुनौती देते हुए कृष्णकुमार अग्रवाल की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिका पर सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि यह नई नीति विभिन्न केंद्रीय ढांचों और नोटिफिकेशनों का उल्लंघन करती है। परिणामस्वरूप नागपुर शहर के आस-पास की नदियों को गंभीर क्षति हो रही है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा 8 अप्रैल 2025 को जारी की गई नई रेत नीति-2025, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए दिशानिर्देशों और ढांचों के विपरीत है।
जिलाधिकारी द्वारा तैयार की गई जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 केवल कागज़ी जोड़-तोड़ है जो केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार किए गए वास्तविक अध्ययन के बिना तैयार की गई है और यह पिछली DSR की ठीक वैसी ही प्रति है। नीति और DSR में रेत की मांग और आपूर्ति का कोई उचित सर्वेक्षण नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि 2018 के दिशानिर्देशों में महाराष्ट्र सरकार को मांग-आपूर्ति अध्ययन करने की आवश्यकता पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया था क्योंकि राज्य रेत की कमी वाला क्षेत्र है।
याचिका में कहा गया है कि नीति में वैज्ञानिक पुनः पूर्ति अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल नहीं है जिसे कम से कम दो मानसून सीज़न पर आधारित होना चाहिए। इस तरह के अध्ययन के अभाव में अवैध खनन बढ़ रहा है।
2025 की नीति में नदी तल के लिए उत्खनन की अवधि 2 वर्ष तय की गई है जबकि सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश 2016 में न्यूनतम 5 वर्ष की अवधि की सिफारिश की गई है। छोटी अवधि के पट्टेदार को खनन क्षेत्र के पुनरुद्धार और पुनर्वास के पर्याप्त उपाय किए बिना खनिज के तेजी से शोषण को प्रोत्साहित करते हैं।
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नीति जिला स्तरीय समिति को DSR तैयार करने के लिए निजी सलाहकार नियुक्त करने की अनुमति देती है। याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निजी ठेकेदारों के माध्यम से DSR तैयार करने की प्रथा की निंदा की है और राज्य के अधिकारियों को इसे स्वयं तैयार करने का निर्देश दिया है।
याचिका में बताया गया कि नीति में पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करने वाले सफल बोलीदाताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है जिससे उल्लंघनकर्ताओं को पर्यावरण का दुरुपयोग जारी रखने का अवसर मिलता है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि अस्पष्ट नीति और अनुचित अध्ययनों के कारण अवैध रेत उत्खनन को बढ़ावा मिलता है। नागपुर जिले में पानी का मुख्य स्रोत कन्हान और पेंच नदी हैं और इनके आस-पास जमा रेत का अनियंत्रित उत्खनन हो रहा है।
अत्यधिक रेत खनन से नदी तल की गहराई बढ़ जाती है जिससे आस-पास के भूजल प्रणाली प्रभावित होते हैं और नदी तट पर स्थित पीने के पानी के कुएं सूख जाते हैं।