सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
नागपुर: शहर में चल रहे निर्माणकार्यों के चलते वैसे भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। उस पर अब वाहनों में लगे कर्कश हॉर्न नागरिकों को बहरा बनाने का काम कर रहे है। प्रेशन हॉर्न के चलते लोग त्रस्त हो गए हैं। इससे ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है। पिछले दिनों सीपी रवींद्र कुमार सिंगल ने शहर भर में नो-हॉन्किंग अभियान चलाने का निर्णय लिया था। कुछ दिन तक तो इस पर काम हुआ लेकिन बाद में पूरी योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
अन्य शहरों की तुलना में नागपुर में हॉर्न का अधिक उपयोग किया जाता है। जरूरत नहीं होने पर भी वाहन चालक हॉर्न बजाते हैं। यहां तक की साइलेंस जोन में भी हॉर्न का उपयोग किया जाता है। इसीलिए पुलिस ने नो-हॉन्किंग अभियान चलाने का निर्णय लिया था। लेकिन अब स्थिति फिर धाक के तीन पात वाली हो गई है। ऐसा ही चलता रहा तो इससे नागरिकों की परेशानी बढ़ जाएगी। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के चलते लोग धीरे-धीरे बहरेपन का शिकार हो रहे हैं। लोग स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों के बाहर भी हॉर्न बजाने से बाज नहीं आते।
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गाड़ियों में आरटीओ द्वारा मान्य हॉर्न ही लगाए जा सकते हैं लेकिन लोग वाहन खरीदने के बाद हॉर्न बदल देते हैं। वाहनों में कर्कश प्रेशर हॉर्न लगाए जाते हैं जिसकी जरूरत नहीं है। विशेषतौर पर वरिष्ठ नागरिकों को इससे काफी दिक्कत होती है। उम्र दराज लोगों को सुनने में परेशानी होती है। इसीलिए वें हियरिंग मशीन का उपयोग करते हैं। लेकिन प्रेशर हॉर्न से उनकी समस्या और बढ़ जाती है।
डॉक्टरों का मानना है कि कर्कश हॉर्न से नागरिकों को कई तरह की परेशानी हो सकती है। प्रेशर हॉर्न के चलते सड़क से गुजर रहे छोटे- छोटे स्कूली बच्चों व बुजुर्गों में काफी भय बना रहता है। केवल इतना ही नहीं लोग बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। रोग ग्रसित व्यक्ति का मानसिक संतुलन तक खराब हो सकता है।
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कई बार तो वाहनों के एकाएक हॉर्न बजाने से लोग भय से उछलकर बेहोश या दुर्घटना के शिकार भी होते हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। विशेषतौर पर भारी वाहनों पर लगे एयर प्रेशर हॉर्न ज्यादा खतरनाक है। पहले तो केवल हाईवे पर ही ऐसे हॉर्न सुनाई देते थे लेकिन अब सिटी के भीतर भी कर्कश और ज्यादा आवाज वाले हॉर्न का उपयोग बढ़ गया जो नागरिकों के लिए खतरे की घंटी है।
पुलिस प्रेशर और कर्कश हॉर्न को लेकर गंभीर नहीं है। सबसे ज्यादा ट्रैवल्स बस चालकों ने वातावरण खराब किया है। गणेशपेठ बस स्टैंड, भोले पेट्रोल पंप, उमरेड रोड और वर्धा रोड पर ट्रैवल्स बस चालकों की उद्दडंता देखते बनती है लेकिन संबंधित ट्राफिक जोन द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाता। बीते वर्ष पुलिस ने 16,168 वाहन चालकों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 119/2 के तहत कार्रवाई की। लेकिन इस वर्ष कार्रवाई ठंडे बस्ते में जाती दिखाई दे रही है। चौराहों के अलावा पुलिस साइलेन्स जोन पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। अस्पताल और स्कूल कॉलेज के सामने भी नो-हॉन्किंग जोन बनने चाहिए।