चंद्रशेखर बावनकुले व आशीष जायसवाल (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Politics: महाराष्ट्र निकाय चुनाव भी गठबंधन कर लड़ने का नेताओं का दावा पूरी तरह खोखला साबित हुआ। पूरे राज्य में महायुति के घटक दल स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। नागपुर जिले की 27 में से 13 नगर परिषद व नगर पंचायतें ऐसी हैं जहां भाजपा को शिंदे सेना सीधी टक्कर देती नजर आएगी।
इस टक्कर को राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और राज्य मंत्री आशीष जायसवाल के बीच मुकाबले की तरह देखा जा रहा है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक भाजपा से गठबंधन के संबंध में जवाब का इंतजार शिंदे सेना करती रही। यह जानकारी तब विधायक कृपाल तुमाने ने दी थी।
जब बीजेपी की ओर से कोई भाव नहीं दिया गया तब 15 नप-नपं में शिंदे सेना ने अपने नगराध्यक्ष के उम्मीदवार सहित सदस्यों का पूरा पैनल उतार दिया। बीजेपी ने सभी 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। हालात ऐसे बने हैं कि 13 सीटें ऐसी हैं जहां दोनों ही मित्र दलों (?) के बीच सीधी टक्कर होने वाली है।
टिकट वितरण के पूर्व से ही जिस तरह पार्टियों को तोड़ने-फोड़ने का घटनाक्रम जिले में नजर आया उससे तो यही लगता है कि सभी पार्टियां अधिक से अधिक सीटों पर अपना कब्जा जमाना चाहती हैं।
महायुति में भाजपा ने अपना अलग ही टारगेट रखा हुआ है। उसके रवैये के कारण ही घटक दल शिंदे सेना ने 15 जगहों पर उम्मीदवार उतारे और अजित पवार की एनसीपी को भी 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारने पड़े। इसे अभी भी मैत्रीपूर्ण लड़ाई का नाम दिया जा रहा है लेकिन यह सिर्फ नाम ही नजर आ रहा है।
राज्य मंत्री आशीष जायसवाल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भरोसेमंद हैं और वही शिंदे सेना के चुनाव अभियान का जिले में नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला भी रोचक होता दिखेगा।
शिंदे सेना भी नागपुर जिले में अपने आपको मजबूत करने की कवायद में जुटी है। उसने कुछ जगहों पर अजित पवार गुट के साथ युति कर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और ऐसी सीटों पर बीजेपी को कांटे का मुकाबला करना पड़ सकता है।
भले ही जिले में अजित पवार गुट ने भी 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं लेकिन कामठी व मौदा में सीट हथियाने के लिए भाजपा व एनसीपी द्वारा एक खास रणनीति के तरह उम्मीदवार उतारने की चर्चा राजनीतिक महकमे में जोरों से चल रही है। इसे बावनकुले व पवार के बीच का चालाकी भरा समन्वय बताया जा रहा है।
एनसीपी ने साजा सेठ को मैदान में उतारा है जिससे इस मुस्लिम बहुल सीट पर कांग्रेस का वोट कटेगा और सीधा फायदा भाजपा के उम्मीदवार को होगा। कहा जा रहा है कि आपसी समन्वय से एनसीपी उम्मीदवार आगे कर भाजपा ने अपनी जमीन सुरक्षित की है।
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साजा सेठ कांग्रेस के उम्मीदवार शकूर नागानी को नुकसान पहुंचाएंगे। मौदा में भी यही पैटर्न दिख रहा है। एनसीपी उम्मीदवार दिलीप सांगडीकर ऐनवक्त पर पीछे हट गए और सीधे भाजपा के साइड में खड़े रहे।
चर्चा है कि इस तरह की मैत्रीपूर्ण युति आगामी जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में भी अपनाई जा सकती है। हालांकि कामठी सीट बावनकुले के लिए चुनौतीपूर्ण हो गई है। बीजेपी के रवैये से नाराज होकर बहुजन रिपब्लिकन एकता मंच (बरिएमं) की सुलेखा कुंभारे ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है। इस सीट पर उनका खासा प्रभाव है और भाजपा उम्मीदवार को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
यहां से कांग्रेस, एनसीपी अजित पवार गुट, शिंदे सेना, उद्धव सेना, आम आदमी पार्टी, एमआईएम, बसपा के साथ ही वंचित तक ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिये हैं। कौन किसके वोट काटेगा और किसका लाभ होगा। यह अब जनता के वोट ही तय करेंगे।