आदित्य ठाकरे (सौजन्य-IANS)
Maharashtra Winter Session Updates: विधान भवन परिसर में पिछले कुछ दिनों से चारों ओर तेंदुए की ही गूंज सुनाई दे रही है। विधानसभा सदन में मंत्रियों की अनुपस्थिति को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के विधायक भी लगातार नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। पूर्व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने तो यहां तक कहा कि जो मंत्री उपस्थित नहीं रहते उन पर तेंदुओं को छोड़ देना चाहिए।
विधायक आदित्य ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब हम बाघ सदन में मौजूद हैं, तो तेंदुए की जरूरत ही क्या है। शुक्रवार को विधानभवन परिसर में आदित्य ने मंत्रियों की गैरहाजिरी पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने मंत्रियों को सदन में बैठने का निर्देश तो दिया है, लेकिन उन्हें खुद भी सदन में बैठना चाहिए।
उन्हें सवाल नहीं समझते, जवाब नहीं दे पाते, सामने चर्चा करने की क्षमता नहीं है। अगर मंत्री बनने की तैयारी नहीं है, तो उस पद पर बैठे ही क्यों? उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में वरिष्ठ मंत्री की गैरहाजिरी के कारण सदन को दो बार स्थगित करना पड़ा। गुरुवार को जब हम विपक्ष का प्रस्ताव पेश कर रहे थे, तब भी सामने की बेंच पर एक भी मंत्री मौजूद नहीं था।
लाडकी बहिन योजना के संदर्भ में बोलते हुए आदित्य ने कहा कि चुनाव से पहले सभी लाड़की बहनें पात्र थीं। लेकिन अब लाखों बहनों को अपात्र ठहराया जा रहा है। इनमें कई पुरुषों के नाम भी शामिल हैं। हम इस बारे में सवाल पूछते हैं, तो मुख्यमंत्री नाराज़ हो जाते हैं। लाडकी बहिनों को 2100 रुपये कब दिए जाएंगे। यह सवाल हम लगातार पूछते रहेंगे।
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शिवसेना ठाकरे गुट के नेता उद्धव ठाकरे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे की तुलना बाघ से और उद्धव ठाकरे की तुलना तेंदुए से करते हुए नई चर्चा को हवा दी। राणा ने कहा कि राज्य के जंगलों में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है। तेंदुआ यह प्राणी बाघों से डरता है।
इसलिए बाघों का आवागमन जिस जंगल में होता है, वहां तेंदुआ नहीं रहता। इसलिए वह शहरी क्षेत्रों की ओर बार-बार दिखाई दे रहा है। असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की है। एकनाथ शिंदे ही असली बाघ हैं, जबकि उद्धव ठाकरे तेंदुआ हैं। उद्धव ठाकरे वास्तव में शिंदे से डरते हैं।