मनपा चुनाव
नागपुर: ओबीसी आरक्षण निर्धारित किए बिना ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद अब राज्य की महानगरपालिका में लंबित चुनाव होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। जिसके लिए एक दिन पहले ही अधिसूचना जारी कर प्रारूप प्रभाग रचना तैयार करने का अधिकार मनपा आयुक्त को सौंपा गया है। इसके अनुसार अब आयुक्त द्वारा प्रारूप तैयार कर इसे राज्य चुनाव आयोग की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसे मंजूरी मिलते ही अंतिम प्रभाग रचना पर मुहर लगने की प्रक्रिया की जाएगी।
बहरहाल जारी की गई अधिसूचना के अनुसार निकट भविष्य में होने वाले चुनाव में 4 वार्डों का एक प्रभाग पद्धति के अनुसार ही चुनाव होंगे। 11 मार्च 2022 के महाराष्ट्र अधिनियम क्रमांक 21, महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम 1949 की धारा 5 के प्रावधानों के अनुसार प्रभाग रचना को अंजाम दिया जाना है। इसके अनुसार मनपा में 156 सीटें होंगी, जबकि वर्ष 2017 में मनपा में 151 सदस्य संख्या थी। ‘अ’ वर्ग की महानगरपालिका होने के कारण जनसंख्या के आधार पर नागपुर महानगरपालिका में 5 सीटों का इजाफा हुआ है। लेकिन ओबीसी की सीटें घटने की संभावना जताई जा रही है।
ओबीसी सीटों पर संभ्रम
अधिसूचना के अनुसार जानकारों की मानें तो वर्ष 2017 को हुए चुनावों की तुलना में ओबीसी की सीटें घट सकती हैं। हालांकि वर्ष 2017 में मनपा में 151 सदस्य संख्या थी, जबकि अब 5 सीटें बढ़ाकर 156 कर दी गई हैं। इसके बावजूद ओबीसी की कुछ सीटें कम हो सकती हैं। वर्ष 2017 में ओबीसी की कुल 42 सीटें थीं। इसके बाद जब लॉटरी निकाली गई तो ओबीसी के खाते में केवल 35 सीटें रह गई थीं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण होने जा रहे चुनावों में ओबीसी आरक्षण का फॉर्मूला वर्ष 2017 के आधार पर ही तय होने की उम्मीद है। लेकिन मनपा की कुल सीटें बढ़ने के कारण अनुपात में ओबीसी की सीटों में इजाफा होता दिखाई नहीं दे रहा है। माना जा रहा है कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की सीटों को निर्धारित किया जाएगा।
केवल 23.5 प्रतिशत ही मिलेगा प्रतिनिधित्व
माना जा रहा है कि ओबीसी वर्ग को केवल 23.5 प्रतिशत ही प्रतिनिधित्व ही मिल सकेगा, जबकि वर्ष 2017 के चुनाव के दौरान ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व दिया गया था। यही कारण है कि आगामी चुनावों में ओबीसी को पहले ही कुछ सीटों का झटका खाना पड़ रहा है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार वर्ष 2017 को हुए चुनाव में भी 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही अलग-अलग वर्ग का आरक्षण निर्धारित किया गया था। वास्तविक रूप में 8 वर्षों में सीटें बढ़नी चाहिए थी किंतु यहां उलटा हो रहा है। यहां तक कि वर्ष 2017 के अनुपात में भी आरक्षण मिलने की उम्मीद कम ही है।
50 प्रतिशत की शर्त का पालन
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार भले ही स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने की छूट दी गई हो लेकिन किसी भी हाल में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण न हो, इसका ध्यान रखने की कड़ी हिदायत दी गई थी। जिसके अनुसार विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण निर्धारित होना है। निर्धारित आरक्षण के अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 19 प्रतिशत, जनजाति के लिए 7.7 प्रतिशत और ओबीसी वर्ग के लिए 23.5 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित हो सकेगा। इस तरह से 156 सीटों के लिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए 78 सीटें तथा सर्वसाधारण वर्ग में 78 सीटें आरक्षित की गई हैं।
बिना ओबीसी आरक्षण इस तरह रह सकती है स्थिति
78 सीटों पर महिला राज