नारायण राणे (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद से ये बात साफ हो गई है कि महाविकास अघाड़ी के साथ-साथ शिवसेना यूबीटी की राज्य में पकड़ कम हो गई है। शिवसेना यूबीटी की पकड़ कमजोर होते ही अब ये दावा सामने आने लगा है कि अगले चुनाव तक उद्धव ठाकरे की पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। मंत्री राणे ने इस पर बड़ा बयान दिया है।
नारायण राणे का कहना है कि विकास और समृद्धि उद्धव ठाकरे का काम नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा सांसद नारायण राणे ने शिरडी में उद्धव ठाकरे की विपक्ष को गाली देने और अच्छे काम में बाधा डालने के लिए कड़ी आलोचना की। अगले चुनाव तक ठाकरे की पार्टी अस्तित्व में नहीं रहेगी। नारायण राणे ने इस दौरान एक सनसनीखेज दावा भी किया।
नारायण राणे रविवार को श्री रामनवमी के अवसर पर अपनी पत्नी के साथ शिरडी पहुंचे और साईं बाबा की समाधि के भावपूर्ण दर्शन किए। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए ठाकरे और संजय राउत के खिलाफ तंज कसते हुए कहा कि रचनात्मक सामाजिक विकास कार्य की विचारधारा ठाकरे में नहीं है। मैं 39 वर्षों से उद्धव ठाकरे के साथ हूं। पार्टी तब भी अस्तित्व में थी जब बाल ठाकरे थे। नारायण राणे पहले ही कह चुके हैं कि बाल ठाकरे चले गए और शिवसेना खत्म हो गई।
संजय राउत अपने घर के बाहर मीडिया से बात करते हैं और सुबह उठते ही अपनी दुकान चलाते हैं। राउत को अपने कार्यों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। देश, राज्य और अपने गांव के लिए आपका क्या योगदान है? मैं राउत की किसी भी टिप्पणी का जवाब नहीं दूंगा। नारायण राणे ने यह भी कहा है कि वे राउत को मूर्ख मानते हैं। राउत का हर बयान विवादित होता है। उन्होंने कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे द्वारा किसानों के संबंध में दिए गए बयान पर बोलते हुए कहा कि माणिकराव कोकाटे द्वारा किसानों के लिए परिवर्तन की बात कहना गलत है।
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इससे एक दिन पहले माणिकराव कोकाटे के एक बयान से राज्य में बयानबाजी शुरू हो गई थी। बेमौसम बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने पहुंचे थे। जहां कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे कर्ज माफी के संबंध में किसानों द्वारा पूछे गए सवाल पर भड़क गए। उन्होंने किसान से सवाल पूछते हुए कहा कि “कर्ज का जो पैसा मिलता है, उसका क्या करते हो? कर्ज के पैसे में से खेत में एक भी रुपया लगाए हो? ऋण लेकर पांच से दस साल तक चुकाते नहीं हैं। कर्जमाफी का इंतजार करते हैं।” इस बयान के बाद से राज्य में कोकाटे के खिलाफ बयानबाजी शुरू हो गई थी।