महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
Devendra Fadnavis On Vande Mataram: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को राज्य सचिवालय में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए ‘वंदे मातरम्’ को शक्ति और एकता की प्रेरणा देने वाला बताया। यह समारोह बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित भारत के राष्ट्रीय गीत की रचना की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने देश के 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने के लक्ष्य को देखते हुए नागरिकों से इस गीत से फिर से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने आग्रह किया कि लोग 2047 में देश की स्वतंत्रता की शताब्दी के अवसर पर विकास और विरासत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने का संकल्प लें।
सीएम फडणवीस ने इस गीत को लेकर होने वाले विवादों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि ‘वंदे मातरम्’ एक धार्मिक गीत है और वे इसे गाने से इनकार करते हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने मौलाना अबुल कलाम आजाद का हवाला दिया।
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फडणवीस ने बताया कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भी कहा था कि वंदे मातरम् को धार्मिक गीत कहना गलत है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह गीत मातृभूमि के लिए बलिदान देने, उसकी एकता और शक्ति के प्रति समर्पण की प्रेरणा है।
एक सरकारी बयान के अनुसार, ‘वंदे मातरम्’ की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी। यह स्तुति 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में पहली बार प्रकाशित की गई थी। बाद में, बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसे अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया, जो 1882 में प्रकाशित हुआ था।
इस गीत को रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया था। यह गीत अब राष्ट्र की सांस्कृतिक, राजनीतिक और सभ्यतागत चेतना का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने जोर देकर कहा कि 2047 में जब देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा, तब भारत को एक ‘विकसित भारत’ के रूप में उभरना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)