बॉम्बे उच्च न्यायालय (pic credit; social media)
Bombay High Court: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे देवेंद्र फडणवीस सरकार और मनोज जरांगे को राहत मिली है। दरअसल, मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2 सितंबर को जारी किए गए शासन निर्णय पर कई ओबीसी संगठनों ने रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए GR पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने शासन निर्णय पर अंतरिम स्थगन देने से साफ इनकार किया है। ऐसे में मराठा आरक्षण के सवाल पर राज्य सरकार को बड़ी राहत मिल गई है।
यह GR हैदराबाद गजेटियर के क्रियान्वयन को मंजूरी देने से जुड़ा है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। हैदराबाद गजेटियर के अमल को लेकर पारित शासन निर्णय के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि 2 सितंबर का शासन निर्णय असंवैधानिक है और उसे रद्द किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए निम्नलिखित संस्थाओं ने रिट याचिकाएं दाखिल की थीं:
इन संगठनों को आशंका है कि यदि मराठा समाज को आरक्षण दिया गया तो इससे ओबीसी वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण कोटे पर असर पड़ेगा। मनोज जरांगे ने सरकार के समक्ष यह शर्त रखी थी कि जब तक मराठा आरक्षण को लेकर GR जारी नहीं होता, वे आमरण अनशन पर बैठे रहेंगे। इसके बाद 2 सितंबर को सरकार की कैबिनेट उप-समिति के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उन्होंने अपना अनशन समाप्त किया था।
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देवेंद्र फडणवीस सरकार के इस निर्णय के बाद कैबिनेट के भीतर ही विरोध के स्वर उठने लगे थे। छगन भुजबल और पंकजा मुंडे जैसे कई वरिष्ठ नेताओं ने ओबीसी आरक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव को लेकर चिंता जताई थी।