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Badlapur Encounter: पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्यों दर्ज नहीं की FIR, कोर्ट ने जमकर लताड़ा, कहा- अदालत के आदेश का बेशर्मी से उल्लंघन

Badlapur Encounter Case: बदलापुर मुठभेड़ मामले में न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ‘‘जानबूझकर'' अदालत के आदेश का पालन न करने का प्रयास किया है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Apr 25, 2025 | 06:18 PM

बंबई हाई कोर्ट (डिजाइन फोटो)

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मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर मुठभेड़ मामले में महाराष्ट्र सरकार को जमकर लताड़ा। बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत के सिलसिले में उसके स्पष्ट आदेश के बावजूद पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने से ‘‘स्तब्ध” है। उसने कहा कि आदेश का पालन नहीं होने से समाज में गलत संदेश जाता है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ‘‘जानबूझकर” अदालत के आदेश का पालन न करने का प्रयास किया है। अदालत ने कहा कि उसके पिछले आदेश का ‘‘बेशर्मी से उल्लंघन” किया गया जो आपराधिक अवमानना ​​के बराबर है। उच्च न्यायालय ने सात अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि जब अपराध का प्रथम दृष्टया खुलासा होता है, तो जांच एजेंसी के लिए प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य होता है, जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने ललिता कुमारी मामले में दिए निर्णय में निर्धारित किया है।

सीआईडी को दिए निर्देश

अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) लखमी गौतम की निगरानी में एक विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया था। उसने कहा था कि गौतम अपनी पसंद के अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन करेंगे और इसका नेतृत्व पुलिस उपायुक्त करेंगे। उसने पुलिस हिरासत में शिंदे की मौत की जांच कर रहे राज्य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को दो दिन के भीतर मामले के सभी दस्तावेज गौतम को सौंपने का निर्देश दिया था। पीठ को शुक्रवार को पता चला कि आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।

आदेश का पालन न करने पर पीठ द्वारा वरिष्ठ सीआईडी ​​अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही की चेतावनी दिए जाने के बाद, सीआईडी ​​प्रमुख और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत बर्दे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए और आश्वासन दिया कि शाम तक मामले के कागजात गौतम को सौंप दिए जाएंगे। अदालत ने उनके बयान को स्वीकार कर लिया। अदालत में मौजूद गौतम ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार उन्होंने एसआईटी का गठन किया है।

नागरिकों के बीच क्या संदेश जाएगा? – न्यायालय

इससे पहले दिन में, पीठ ने कहा कि वह इस बात से ‘‘स्तब्ध” है कि उसके सात अप्रैल के आदेश का पालन नहीं किया गया। उसने कहा कि अगर अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू नहीं की गई, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘नागरिकों के बीच क्या संदेश जाएगा? हम आदेश देते हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं करती। हमें एक कड़ा संदेश भेजने की जरूरत है कि हमारे आदेश का पालन किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है, तो कार्रवाई की जाएगी।”

उसने कहा, ‘‘हमारे आदेश का बेशर्मी के साथ उल्लंघन किया गया। ऐसा कैसे हो सकता है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का पालन न करे? अगर मामले के कागजात आज ही हस्तांतरित नहीं किए गए तो आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करनी होगी।” सरकारी वकील हितेन वेंगांवकर ने अदालत को बताया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए नौ अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि याचिका पर सुनवाई पांच मई को होने की संभावना है। पीठ ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय ने उसके आदेश पर रोक नहीं लगाई है तो सरकार उसका अनुपालन करने के लिए बाध्य है।

ये अदालत की अवमानना

उसने कहा, ‘‘कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिए। आपको आदेश का अनुपालन करना होगा अन्यथा हम अवमानना ​​(नोटिस) जारी करने के लिए बाध्य होंगे। उच्चतम न्यायालय ने हमारे आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया है। यह अवमानना ​​के बराबर है। इसे आज ही करें।” पीठ ने कहा, ‘‘ललिता कुमारी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, हमारे आदेश के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। करीब एक महीना होने वाला है और हमारे आदेश का अनुपालन करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है।” उसने कहा कि अगर सरकार उसके आदेश से इतनी ही व्यथित थी, तो उसे उच्चतम न्यायालय में तत्काल सुनवाई का अनुरोध करना चाहिए था।

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पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने रोक लगाने संबंधी सरकार की याचिका को सात अप्रैल को ही खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा, ‘‘इसके बावजूद सरकार फाइलें दबाकर बैठी रही।” ठाणे जिले के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न के आरोपी शिंदे की 23 सितंबर, 2024 को पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में गोली लगने से मौत हो गयी थी। यह घटना उस वक्त हुई थी जब शिंदे को तलोजा जेल से कल्याण ले जाया जा रहा था। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी ने उन पर गोलियां चलाईं और वह जवाबी कार्रवाई में मारा गया।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Badlapur fir not registered against policemen court said shameless violation of order

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Published On: Apr 25, 2025 | 06:18 PM

Topics:  

  • Badlapur
  • Badlapur School Case
  • Bombay High Court

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