बैठक में मौजूद डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
ठाणे: ठाणे जिला राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं शिवसेना के प्रमुख नेता एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है लेकिन जिले में नंबर वन बनने की कोशिश भाजपा ने शुरू की है। इसकी वजह से उपमुख्यमंत्री शिंदे एवं वन मंत्री गणेश नाईक के बीच तल्खी बढ़ गयी है। इसका असर शुक्रवार को जिला नियोजन भवन में हुई आपदा व्यवस्थापन प्राधिकरण की मानसून पूर्व तैयारी समीक्षा बैठक में दिखाई दिया जब उपमुख्यमंत्री शिंदे ने नाईक के विभाग पर भड़क गए। यही नहीं उन्होंने वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने तक की धमकी दे डाली।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट रूप से कहा कि सार्वजनिक हित में बाधा डालने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिला आपदा व्यवस्थापन प्राधिकरण की मानसून पूर्व तैयारियों की समीक्षा बैठक शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री एवं जिले के पालक मंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गढ़ ठाणे में भाजपा ने स्वबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। वन मंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता गणेश नाईक ने कुछ महीनों पहले ठाणे मनपा में सिर्फ ‘कमल का फूल’ का नारा दिया था। यही नहीं उन्होंने जिले में जनता दरबार लगाकर एक तरह से शिंदे को चुनौती दी।
शिंदे और नाईक के बीच कड़ी प्रतिद्वंद्विता सर्वविदित है। दोनों के बीच चल रहे शीतयुद्ध में अब प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की स्थिति खराब होने लगी है। भाजपा नेता नाईक महायुति सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। वे ठाणे जिले के वर्षों तक पालक मंत्री रहे हैं। नाईक नियमित रूप से ठाणे में सार्वजनिक बैठकें करते हैं।
ठाणे मनपा के लिए ‘केवल कमल’ का नारा देने वाले वन मंत्री नाईक और उपमुख्यमंत्री शिंदे को इसकी कोई परवाह नहीं है। दोनों के बीच का झगड़ा अब उनके खातों तक भी पहुंच गया है। आपदा प्रबंधन के लिए प्रशासनिक स्तर पर आयोजित बैठक में यह बात स्पष्ट हो गयी है। उपमुख्यमंत्री शिंदे ने आपदा प्रबंधन बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। ठाणे के घोड़बंदर रोड पर गायमुख घाट की सड़क लगातार चर्चा में रहती है।
इस सड़क की हाल ही में मरम्मत की गई थी। सड़क का डामरीकरण किया गया है। शिंदे ने सवाल उठाया कि सड़क सीमेंट कंक्रीट की बजाय डामर की क्यों बनाई गई। शिंदे के अधीन सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जवाब दिया कि डामर सड़क इसलिए बनानी पड़ी क्योंकि वन विभाग के अधिकारियों ने सीमेंट कंक्रीट सड़क बनाने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद शिंदे ने वन विभाग के अधिकारियों से अनुमति के संदर्भ में जवाब मांगा।
वन विभाग के अधिकारियों ने शिंदे को बताया कि वन क्षेत्र में सीमेंट कंक्रीट सड़क नहीं बनाई जा सकती। इसके लिए अनुमति नहीं दी जा सकती है। उपमुख्यमंत्री इस जवाब से भड़क गए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को आड़े हाथों लिया और अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि गायमुख क्षेत्र में सीमेंट कंक्रीट सड़क निर्माण की तत्काल अनुमति दी जाए, अन्यथा मामला दर्ज किया जाएगा।
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उन्होंने गुस्से में कहा कि पुरानी सड़क के लिए अनुमति की क्या आवश्यकता है। मंजूरी से अधिक लोगों की जिंदगी जरूरी है। अपने वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत बताएं। घोड़बंदर रोड पर सीमेंट सड़क के निर्माण की अनुमति दी जाए। अन्यथा दुर्घटना होने पर आप ही जिम्मेदार होंगे।