महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने वाले हैं। इसी बीच राज्य में चुनाव प्रचार आखिरी दिन है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। नेताओं का एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इस बीच महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार 17 नवंबर को प्रचार के दौरान महायुति में शामिल होने की वजह बताई।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक और चाचा शरद पवार से अलग होने का फैसला क्यों लिया था। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी विधायक रुके हुए विकास कार्यों को पूरा करने के लिए एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल होना चाहते थे। बता दें कि अजित पवार आठ विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हुए थे।
बारामती में चुनाव प्रचार के दौरान अजित पवार अपने चाचा शरद पवार पर निशाना साधते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि मैंने साहब को नहीं छोड़ा। मैंने उनसे कहा था कि सभी विधायकों के साथ शिंदे की सरकार में शामिल होना चाहिए जिससे विकास कार्यों को मंजूरी मिल सके। जिसके लिए विधायकों ने सरकार में शामिल होने के लिए हस्ताक्षर भी किए थे।
जनसभा के दौरान अजित पवार ने लोगों से समर्थन मांगते हुए कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में शरद पवार और उनकी बेटी व सांसद सुप्रिया सुले का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि वह आज यहां एक रैली में भाग लेंगे और पवार साहेब भी रैली करेंगे। ऐसे में जनता यह फैसला करेगी की भावी पीढ़ियों की खातिर उसे किसे वोट करना चाहिए।
अजित पवार बारामती सीट से 1991 से विधायक रहे हैं। पुणे जिले की यह सीट बहुत ही अहम है। यह वही सीट है जिससे राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार जीतते थे। इस बार इस सीट से पवार परिवार से दो चेहरों के बीच मुकाबला होने वाला है। एक तरफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार और दूसरी तरफ अजित पवार के भतीजे योगेंद्र पवार हैं।
साल 2023 में जुलाई को राकांपा यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी। निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद अजित पवार को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न मिल गया था। वहीं शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े का नाम राकांपा रखा गया। जिसका चुनाव चिन्ह तुरही बजाता व्यक्ति दिया गया।