गड़चिरोली. पंतप्रधान आवास योजना के घरकुल को शहरी क्षेत्र में 2 लाख 50 हजार रूपये दिए जाते है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में 1 लाख 40 हजार रूपये अनुदान दिया जाता है. योजना एक ही होने के बावजूद अनुदान की राशी में सरकार द्वारा दूजाभाव क्यो किया जा रहा है, ऐसा सवाल ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक उठा रहे है. अल्प अनुदान के राशी में ख्वाबों का आशियाना कैसे निर्माझा करे, ऐसा सवाल ग्रामीण क्षेत्र के लोग पुछ रहे है.
पंतप्रधान आवास योजना अंतर्गत 2022 तक सभी को पक्के आवास योजना पर अंमल होने की प्रतिक्षा है. ग्रामीण क्षेत्र के प्रपत्र ‘ड’ के नाम समाविष्ट कर अन्य लाभार्थियों के घर को तत्काल मान्यता देकर वर्ष 2022 तक सभी भारतियों का आवास दिलाने का सरकार का प्रयास है. पंतप्रधान आवास योजना के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थियों को 1 लाख 20 हजार रूपये तथा रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत 20 हजार रूपये ऐसे कुल 1 लाख 40 हजार रूपये सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है.
इसमें शहरी क्षेत्र में 2 लाख 50 हजार रूपये अनुदान दिया जाता है. ण्यात ग्रामीण क्षेत्र में सिमेंट, लोहा, रेत, ईट आदि निर्माणकार्य कम खर्च में मिलता है क्या ऐसा सवाल ग्रामीण क्षेत्र के घरकुल लाभार्थियों द्वारा पुछा जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में सिमेंट, लोहा, रेत, ईट, मजदूरी आदि निर्माण साहित्यों की आवश्यकता नहीं होती क्या ?, उल्टे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को निर्माण साहित्या के यातायात के लिए यातायात खर्च अधिक लगता है. इसके बाजदूर सरकार की ओर से कम अनुदान मिलता है. जिससे शहरी क्षेत्र के तहत ही ग्रामीण क्षेत्र में ढ़ाई लाख रूपये अनुदान सरकार दे, ऐसी मांग नागरिकों द्वारा की जा रही है. भागात सुद्धा अडीच लाख रूपये अनुदान शासनाने द्यावे, अशी मागणी जनतेकडून होत आहे.
फिलहाल निर्माण साहित्य सिमेंट, लोहा, ईट आदि के दाम दुगने बढ़ गए है. वहीं निर्माणकार्य के लिए आवश्यक मजदूरी भी चार गुना बढ़ी है. किंतू अनुदान उतना ही दिया जा रहा है. जिससे घरकुल लाभार्थी सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर रहे है. साहित्यों के बढ़ते किंमतों के चलते इस अल्प अनुदान में घरकुल का निर्माण कैसे संभव है, ऐसा सवाल उपस्थित किया जा रहा है.
इस दुजाभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थी घर का निर्माणकार्य करते समय कर्जबाजारी हो रहे है. जिससे सरकार ने इस बात की ओर ध्यान देकर शहरी क्षेत्र की लाभार्थियों के भांती ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थियां को अनुदान दे, ऐसी मांग हो रही है.
शहरी क्षेत्र से सटे अनेक ग्राम पंचायत अंतर्गत होनेवाला भूक्षेत्र बगैर खेती कर प्लाट बिक्री किया है. यहां सरकरी कर्मचारी, व्यावसायीक, किसानोंने उक्त प्लाट पर सरकारी, गैरसरकारी बैंक की ओर से कर्ज निकालकर आवास निर्माण किया तो उसे बैंक मार्फत दिया जानेवाला ढाई लाख रूपयों तक का लाभ मिलता है.
किंतू उसी परिसर में कोई भूक्षेत्र शहरी क्षेत्र या नगर पालिका क्षेत्र में आता है, तो बैंक द्वारा दिए गए कर्ज योजना के मुद्दल व ब्याज में ढ़ाई से पौने 3 लाख तक की छूट दी जाती है. ऐसा दुजाभाव होने से बैंक तथा सरकार के निति को लेकर लोगों ने नाराजगी व्यक्त कर ग्रामीण व शहरी बैंक कर्जदारों इसका लाभ मिलने की मांग हो रही है.