बुलूमगव्हाण (सौ. सोशल मीडिया )
Amravati News In Hindi: साल 2018 में जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आदिवासी बहुल बुलूमगव्हाण गांव में 70 सालों के बाद बिजली पहुंचाई, तब गांव के लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे। लेकिन आज वही गांव भीषण जलसंकट से जूझ रहा है, और अब पानी कब मिलेगा जैसे सवाल जनता पूछ रही है।
बुलूमगव्हाण गांव पूर्णत: पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां की जमीन लाल मुरुम व खडकाल होने के कारण बारिश का पानी जमीन में नहीं समाता। नतीजतन, बोरवेल और कुएं भी सूखे रहते हैं। हर वर्ष गर्मियों के 4 महीने गांव को भयावह जलसंकट का सामना करना पड़ता है। बुलूमगव्हाण में आज तक एक भी तालाब नहीं है।
बारिश का पानी सीधे बहकर चला जाता है, जिससे जलस्रोत शून्य हो जाते हैं। जलसंवर्धन के लिए तालाब निर्माण ही एकमात्र स्थायी उपाय बताया जा रहा है। एक किसान की जंगल से सटी जमीन तालाब के लिए उपयुक्त मानी गई थी। पुनर्वसन की शर्तों पर किसान भी तैयार था। तालाब से न केवल ग्रामीणों, बल्कि वन्यजीवों और पालतू जानवरों को भी राहत मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, यह प्रस्ताव बाद में ठंडे बस्ते में चला गया और अब तक उस पर कोई अमल नहीं हुआ है। 2018 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के C।M। फेलो आनंद जोशी ने गांव में कई विकासात्मक कार्य किए थे।
तत्कालीन जिलाधिकारी व सीएम सचिव प्रविण परदेशी ने भी तालाब के लिए सकारात्मक रुख दिखाया था। लेकिन समय के साथ सब कुछ ठंडा पड़ गया। बुलूमगव्हाण को बिजली तो मिली, लेकिन पानी के बिना जीवन अधूरा है। अब समय आ गया है कि प्रशासन बिजली की तरह जल जैसी मूलभूत सुविधा भी गांव को उपलब्ध कराए। तालाब निर्माण व जलसंवर्धन कार्यों में देरी, ग्रामीणों के भविष्य के साथ अन्याय होगा।
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उपविभागीय जलसंवर्धन अधिकारी धनंजय लिंगायत ने कहा है कि यहां की जमीन को देखते हुए भूमिगत बंधारे बनाकर भूजल स्तर बढ़ाना एक प्रभावी उपाय हो सकता है। मुरुमी और खडकाल जमीन में बारिश का पानी टिकता नहीं, इसलिए संरक्षित जलस्रोत ही एकमात्र विकल्प है। गांव के लोगों ने प्रशासन से नया तालाब बनाने की तत्काल योजना, साथ ही जलसंधारण कार्यों के माध्यम से भूजल स्तर बढ़ाने की ठोस कार्यवाही की मांग की है।