अमरावती. 24 मार्च से पवित्र रमजान माह शुरू हो चुका है, इस माह में खुदा की इबादत में हर खासोआम, अमीर- गरीब, नौजवान व बुजुर्ग पूरी शिद्दत से जुटा हुए है. रमजान के रोजे का बड़ा महत्व होता है. हर कोई रोजा रखकर खुदा की इबादत करता है. इस क्रम में मध्यवर्ती कारागृह में भी रमजान माह के मौके पर 170 कैदी रोजे रख रहे हैं. रोजा रखने वाले इन कैदियों में न्यायिकबंदी तथा सजा आफ्ता कैदियों का समावेश है. इन कैदियों के सहरी व इफ्तार के लिए जेल प्रशासन ने अच्छे खासे प्रबंध किये हैं. रोजा रखने वाले कैदियों को स्वतंत्र बैरेक में रखकर सहरी व इफ्तार की सामग्री के साथ नमाज पढ़ने की व्यवस्था की है.
रमजान महिने के पहले दिन से ही यहां जेल के कैदी रोजे रख रहे है. वह पूरे महिने भर रोजा रखने वाले है, जिसे देखकर अमरावती जेल प्रशासन ने इन कैदियों को अलग-अलग दो बैरंक में रखकर पुरी व्यवस्था की है. जिसमें एक बैरेक में सजाफ्ता कैदी है, जबकि दूसरे बैरेक में न्यायिक बंदी को रखा गया है. जिससे रोजदार कैदियों को कोई परेशानी नहीं हो.
कैदियों की सहरी व इफ्तार और नमाज अदा करने के लिए जेल में ही खासे इंतजाम किये हैं. सेहरी व इफ्तार दोनों वक्त उन्हें फल, दुध, मिठाई, सुखा मेवा, खजुर व अल्पहार उपलब्ध कराये जा रहे हैं. दिनभर चलने वाले रोजे को वह अपने बैरक में ही इफ्तार के साथ खत्म करते है. प्रांत 3 बजे सहरी में हलवे के साथ आधा पाव दूध, पोहा, चाय जैसा अल्पहार दिया जाता है, जबकि शाम के समय इफ्तार के लिए खजुर, केला जैसे फलाहार के साथ भोजन दिया जाता है.
जेल प्रशासन की ओर से रमजान के रोजा रखने वाले कैदियों के लिए पहले दिन से ही अच्छी खासी व्यवस्था की गई है. जेल में 170 कैदी रोजे रख रहे है. ईद के दिन उन्हें सरकारी शिरखुर्मा भी दिया जाएगा. रोजा रखने वाले कैदियों के लिए स्वंतत्र बैरेक की व्यवस्था की गई है.
-भोसले, जेल अधीक्षक