प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Akola Check Bounce Case: अकोला जिले के तीसरे अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी डी. एस. कोलते के न्यायालय ने एक चेक बाउंस (धनादेश अनादर) मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी मनमोहन डिवरे को दोषी ठहराया है। न्यायालय ने आरोपी को छह महीने के कारावास की सजा सुनाई है और साथ ही शिकायतकर्ता सोसायटी को ₹47,200 का भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
यह मामला तब शुरू हुआ जब 42 वर्षीय आरोपी मनमोहन डिवरे (निवासी खंडाला) ने निशांत मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लि. की डाबकी रोड शाखा से वाहन खरीदने के लिए ₹58,736 का कर्ज लिया था। हालांकि, उसने तय समय पर कर्ज की राशि वापस नहीं की। जब संस्था ने कानूनी नोटिस भेजा, तो आरोपी ने ₹47,200 का एक चेक दिया, लेकिन वह चेक बैंक में बाउंस हो गया।
इसके बाद, सोसायटी ने आरोपी के खिलाफ निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई। न्यायालय ने प्रस्तुत किए गए सभी साक्ष्यों और दलीलों पर विचार किया और आरोपी को दोषी पाया।
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न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यदि आरोपी 47,200 रुपये की राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उसे एक महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस मामले में सोसायटी की ओर से एडवोकेट श्याम खोटरे और एडवोकेट अश्विन काले ने पैरवी की। यह फैसला उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो ऋण लेने के बाद जानबूझकर भुगतान करने से बचते हैं और बाउंस चेक देते हैं।