संत सियाराम बाबा
खरगोन: पूरे भारत में अपने तप और त्याग के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के खरगोन के संत सियाराम बाबा का आज यानी 11 दिसंबर बुधवार को सुबह मोक्षदा एकादशी के दिन निधन हो गया है। खबर है कि 110 वर्ष की आयु में उन्होंने आज सुबह 6:10 बजे अंतिम सांस ली।
बताया जा रहा है कि, बाबा पिछले 10 दिनों से निमोनिया से पीड़ित थे। वहीं इंदौर के डॉक्टरों ने भी उनका इलाज किया था। मूलतः गुजरात के बाबा यहां कई सालों से नर्मदा भक्ति कर रहे थे। उनके निधन का खबर से पूरे देश में शोक की लहर है। वहीं आज बुधवार शाम 4 बजे नर्मदा नदी के किनारे भटयान आश्रम क्षेत्र में उनकी अंत्येष्टि होगी। अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी शामिल हो सकते हैं।
निमाड़ और देशभर में अटूट आस्था के केंद्र रहे 110 वर्षीय सियाराम बाबा ने आज गुरुवार सुबह देह त्याग दी। बाबा के यूं चले जाने से देशभर के श्रद्धालुओं में निराशा, शोक। pic.twitter.com/du6hLUSkVv
— Umesh Rewaliya (@RewaliyaUmesh) December 11, 2024
बाबा के चरणों में कोटि-कोटि नमन 🙏
परम पूज्य श्री सियाराम बाबा जी ने जीवन पर्यंत रामायण का पाठ करते हुए समाज को धर्म, भक्ति और सदाचार का संदेश दिया तथा उनका सम्पूर्ण जीवन मानवता, धर्म और नर्मदा मैया की सेवा में समर्पित रहा। उनके सान्निध्य में शांति, दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का… pic.twitter.com/S4A5d6IjRK
— Gajendra Singh Patel (@gajendra4bjp) December 11, 2024
जानकारी दें कि, खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा प्रतिदिन वीडियो कॉल के माध्यम से चिकित्सकों और आश्रम के सेवादारों से संत के स्वास्थ्य संबंधी अपडेट ले रहे थे। वहीं बीते सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा कांग्रेस नेता अरुण यादव ने भी संत सियाराम बाबा के दर्शन कर किए थे।
Siyaram baba is a guru/monk. He is allegedly 188 years old claimed by his followers but official estimations are around 110 to 120. He has received millions of Indian Rupees in donations but he gave it all away since he just gets what he needs to eat from his followers pic.twitter.com/EluD66IoOy
— Manju 💛❤🇮🇳🚩 (@Manjuma51153064) December 9, 2024
खबरों की मानें तो सियाराम बाबा ने साल 1933 से नर्मदा नदी के किनारे तपस्या शुरू की थी। उन्होंने यहां 10 वर्षों तक खड़े रहकर मौन तपस्या की और समाज के बीच अपनी विशेष पहचान बनाई थी। हालांकि बाबा का असली नाम आज भी किसी को नहीं पता। उनके अनुयायियों की मानें तो पहली बार उनके मुख से “सियाराम” शब्द निकला, जिसके बाद से उन्हें संत सियाराम बाबा के नाम से जाना जाने लगा। बाबा ने 7 दशक तक लगातार रामचरितमानस का पाठ किया और श्रीराम धुन का संचालन करवाया था।
अनुयायियों की मानें तो, सियाराम बाबा अपनी दिनचर्या में लगातार रामायण पाठ ही किया करते थे। भक्तों का यह भी कहना है कि, वे 21 घंटों तक रामायण का पाठ करते थे। 95 साल की आयु में भी उन्हें चश्मा भी नहीं लगा था। भक्तों ने सियाराम बाबा को हमेशा लंगोट में ही देखा है। सर्दी, गर्मी या बरसात वे लंगोट के अलावा कोई कपड़े भी नहीं पहनते थे।