सांप्रदायिक मीडिया कवरेज पर हाईकोर्ट में याचिका
भोपाल: मध्यप्रदेश के भोपाल के चर्चित यौनउत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग केस में अब एक नया मोड़ सामने आया है। इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें दो प्रमुख अखबारों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने खबरों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और पूरे समुदाय को निशाने पर लिया। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट ऐसे भड़काऊ और भ्रामक कवरेज पर सख्त रोक लगाए, क्योंकि यह देश की एकता और धर्मनिरपेक्षता के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है।
इस याचिका में खासतौर पर ‘लव जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस शब्द की कोई कानूनी मान्यता नहीं है, इसके बावजूद इसे अपराध के रूप में पेश कर मुसलमानों को सामूहिक रूप से दोषी ठहराया जा रहा है। उनका यह भी दावा है कि यह एक साजिश का हिस्सा है, जिसका मकसद समाज में तनाव फैलाना और धार्मिक वैमनस्य को हवा देना है।
मीडिया रिपोर्टिंग पर सवाल
हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि भोपाल में छात्राओं के साथ हुए गंभीर अपराध को रिपोर्ट करते हुए कुछ मीडिया संस्थानों ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जिससे पूरे मुस्लिम समाज को अपराधी के रूप में दिखाया गया। याचिकाकर्ता ने इन रिपोर्ट्स को संविधान की भावना के खिलाफ बताते हुए कोर्ट से मांग की है कि ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगे जो समाज को विभाजित करते हैं। याचिका में शामिल खबरों की हेडलाइंस को उदाहरण के तौर पर रखा गया है, जिनमें बार-बार ‘लव जिहाद’ जैसे शब्दों का उपयोग किया गया।
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‘लव जिहाद’ शब्द पर आपत्ति और कानूनी पहलू
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि ‘लव जिहाद’ कोई विधिसम्मत शब्द नहीं है और न ही इसे किसी जांच एजेंसी या कानून ने मान्यता दी है। इसके बावजूद मीडिया में इसे प्रचारित किया जा रहा है। यह न सिर्फ धर्म विशेष को निशाना बना रहा है, बल्कि इससे समाज में नफरत फैलाने का प्रयास हो रहा है। याचिका में यह भी अपील की गई है कि इस तरह की रिपोर्टिंग को आपराधिक षड्यंत्र माना जाए और संबंधित संपादकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। इस पूरे मामले पर अब 19 जून को हाईकोर्ट में सुनवाई संभावित है। जहां एक तरफ पुलिस ने केस में अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वहीं एक आरोपी अब भी फरार है।