दही चुडा
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: सनातन धर्म में ‘मकर संक्रांति’ (Makar Sankranti) का विशेष महत्व है। ‘मकर संक्रांति’ पूरे देश में हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले पावन पर्वों में से एक है। यह पर्व पूरे देशभर में बड़ी ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह (Makar Sankranti 2024) 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यता है कि, अगर मकर संक्रांति के दिन विधि-विधान के साथ सूर्यदेव का पूजन किया जाए तो कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और करियर में सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने की भी परंपरा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर इस दिन दही-चूड़ा क्यों खाया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आपको बता दें, खासकर, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में दही चूड़ा (Dahi Chuda) खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके अलावा, इस दिन तिल युक्त खिचड़ी व तिल के लड्डू दान देने के साथ खाने-खिलाने की भी परंपरा है।
यह न केवल स्वादिष्ट है बल्कि काफी स्वास्थ्यवर्धक भी है। इसे आमतौर पर दान और दान के कार्य के बाद खाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दही-चूड़ा खाने से सुख-सौभाग्य बढ़ता है।
साथ ही इससे ग्रह दोष भी समाप्त होता है। वहीं अगर यह परिवार के साथ बैठकर खाया जाए, तो इससे रिश्तों में मधुरता आती है।
धार्मिक रूप से इसे खाना बहुत शुभ माना जाता है। इससे सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी समय धान की कटाई होती और नए चावल निकलते हैं। ताजा धान से खिचड़ी और पोहा बनाया जाता है और पहले सूर्यदेव को भोग लगा कर इसके बाद दही-चूड़ा और खिचड़ी सभी लोगों को बांटी जाती है और खाई जाती है।
सुबह गंगा स्नान अवश्य करें। सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद कुछ दान और पुण्य करें। दही-चूड़ा खाने से पूर्व भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करें। इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति प्रबल होती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।