सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ‘चैत्र अमावस्या’ के नाम से जाना जाता है। इस साल चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya 2023) 21 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी। हिन्दू धर्म में इसका बहुत महत्व है और इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं। हर साल यह अमावस्या मार्च-अप्रैल के महीने में आती है। आइए जानें ‘चैत्र अमावस्या’ की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
पितरों की पूजा के लिए फलदायी मानी जाने वाली अमावस्या इस साल 21 मार्च 2023, मंगलवार को पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्णपक्ष की पंद्रहवीं तिथि 21 मार्च 2023 को पूर्वाह्न 01:47 बजे से लेकर रात्रि 10:52 बजे तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या तिथि के दिन किया जाने वाला स्नान-दान, पूजा और उपाय 21 मार्च 2023 को किए जाएंंगे।
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इसके साथ ही स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान देना शुभ होगा। अमावस्या के दिन अनाज, कपड़े, फल, खाने की सफेद चीजें, पानी के लिए मिट्टी का बर्तन और जूते या चप्पल दान करना चाहिए। इससे पितर भी प्रसन्न होते हैं।
चैत्र अमावस्या वर्ष की पहली अमावस्या है और चैत्र के महीने या हिंदू कैलेंडर के पहले महीने में आती है। इस वर्ष चैत्र अमावस्या 31 मार्च और 1 अप्रैल, 2022 को पड़ने जा रही है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन से दर्द, संकट और नकारात्मकता को खत्म करने में मदद मिलती है। पुराणों में उल्लेख किया गया है कि इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान करने से आपके पापों और बुरे कर्मों का नाश होता है। अमावस्या तिथि पर भक्त अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध आदि भी करते हैं, ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है।