बड़ा मंगल 2024 (फाइल फोटो)
सीमा कुमारी
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: हिंदू धर्म में बड़े मंगल (Bada Mangal 2024) का बहुत महत्व है। ज्येष्ठ का महीना 24 मई से शुरू हो चुका है। इस माह में हनुमान जी की पूजा बेहद फलदायी होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, सीता की खोज में वन में भटकते हुए जब प्रभु श्री राम (Shri ram) की मुलाकात हनुमान जी से हुई उस दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार था। यही वजह है कि इस दिन का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है।
इस दिन का होता है विशेष महत्व
धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में आने वाले हर मंगलवार का विशेष महत्व है। इस महीने के प्रत्येक मंगल को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल कहा जाता है। ज्येष्ठ माह के मंगल को बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। इस माह का पहला बुढ़वा मंगल 28 मई, दूसरा मंगल 4 जून , तीसरा मंगल 11 जून और चौथा बड़ा मंगल 18 जून को पड़ेगा।
जानिए इस दिन से जुड़ा इतिहास
ज्योतिष गुरु के अनुसार, ज्येष्ठ के हर मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बजरंगबली को बूढ़े वानर (Budhwa Mangal) के रूप में पूजा जाता है, इसलिए इसे बुढ़वा मंगल भी कहते है। बड़ा मंगल जरूर एक हिंदू पर्व है लेकिन इसका उत्तर प्रदेश के नवाब से इसका इतिहास जुड़ा है। आइए जानें कैसे।
शास्त्रों के अनुसार वैसे तो बुढ़वा मंगल का संबंध महाभारत और रामायण से है लेकिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) से भी बड़ा मंगल का इतिहास जुड़ा है। यहां बड़ा मंगल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, आज से लगभग 400 साल पहले अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी. जिसकी वजह से उनकी बेगम बहुत दुखी रहती थी ।
ऐसे शुरू हुई बड़ा मंगल मनाने की परंपरा
तमाम प्रयासों के बाद भी जब बेटा ठीक नहीं होता तो तब कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह (Nawab Wajid ali shah) की बेगम को लखनऊ के अलीगंज में स्थिति प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगले की सलाह दी। उन्होंने ऐसा ही किया और थोड़े दिन बाद बेटे की तबीयत में सुधार होने लगा ।
इसकी खुशी में अवध के नवाब और उनकी बेगम ने अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई। जिसका काम ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ। पूरे लखनऊ में गुड़ और प्रसाद का वितरण करवाया। तब से बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में जलपान कराने, भंडारा कराने और प्रसाद वितरण का कार्य प्रारंभ हुआ। तब से यहां हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन होता है।