दंतेवाड़ा गणेश मंदिर (सौ.सोशल मीडिया)
हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का खासा महत्व होता है, इसके साथ 7 सितंबर से गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई है। इस दौरान 10 दिनों में गणपति बप्पा की विधि-विधान के साथ पूजा की जाएगी तो वहीं पर गणेशजी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी सुनाई जाएगी। प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को कई नामों से जानते है, इसमें लंबोदर, गजानन और एकदंत। कई नामों के पीछे भगवान की कहानी छुपी है। एकदंत नाम को लेकर एक पौराणिक कथा के साथ ही मंदिर का उल्लेख मिलता है। क्या आप जानते हैं भगवान गणेश के एकदंत बनने की कहानी चलिए जानते है, इस लेख में।
यहां पर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एकदंत मंदिर स्थित है, जो हमे जिले से करीब 13 किमी दूर बारसूर गांव में ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर मिलता है। यहां पर एकदंत गणेश भगवान की भव्य मूर्ति विराजित की गई है। यह इलाका और मंदिर दुनिया में दुर्लभ मूर्तियों के बारे में जाना जाता है जिसे रक्षक भी कहते है। इसके अलावा इस दंतेवाड़ा जिले में एक कैलाश गुफा भी देखने के लिए मिलेगी। यह वह कैलाश क्षेत्र है जहां पर गणेश जी और परशुराम के बीच भीषण युद्ध हुआ था इस युद्ध में गणपति का एक दांत टूटकर यहां गिरा था। परशुराम जी के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया।
भगवान श्रीगणेश जी के एकदंत बनने की पौराणिक कथाएं प्रचलित है इसके बारे में कम ही जानकारी लोगों को है चलिए जानते है…
पहली पौराणिक कथा
1- पौराणिक कथा के अनुसार इसके पीछे परशुराम जी और भगवान गणेश का युद्ध है एक समय की बात है जब भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी पहुंचे तब उन्होंने भगवान गणेश को द्वार पर बाहर खड़ा देख कहा कि, मुझे भगवान शिव से मिलना है मुझे अंदर जाने दें, गणेश जी ने परशुराम को अंदर नहीं जाने दिया, इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया।जिसके बाद उन्होंने गणेश जी से कहा की अगर मुझे अंदर नहीं जाने दिया तो मुझसे आपको युद्ध करना पड़ेगा, यदि में जीता तो आपको मुझे भगवान शिव से मिलने के लिए अंदर जाने देना होगा। भगवान गणेश ने युद्ध की चुनौती स्वीकार की, दोनों के बीच बड़ा भीषण युद्ध चला, युद्ध के दौरान परशुराम जी ने अपने फरसे से भगवान गणेश पर वार किया और परशुराम जी के फरसे से उनका एक दांत टूट कर वहीं गिर गया. उसके बाद से ही गणेश जी एकदंत कहलाए।
दंतेवाड़ा गणेश मंदिर (सौ.सोशल मीडिया)
ये पौराणिक कथाएं भी है प्रचलित
अन्य कथाओं के अनुसार गणेश का परशुराम नहीं भाई कार्तिकेय की वजह से गणेश जी का दांत टूटा था. दोनों भाईयों के विपरीत स्वभाव के चलते शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे, क्योंकि गणेश जी कार्तिकेय को बहुत परेशान करते थे. ऐसे ही एक झगड़े में कार्तिकेय ने भगवान गणेश को सबक सिखाने का निश्चय किया और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी जिससे उनका एक दांत टूट गया. इसके अलावा यह भी कथा प्रचलित है कि महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी के आगे शर्त रखी. शर्त यह थी कि वो बोलना नहीं बंद करेंगे, यानि वे लगातार बोलेंगे और गजानन को बिना रुके लिखेंगे ऐसे में गणेश जी ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया।