नाग पंचमी पर क्यों पीटी जाती है गुड़िया (सौ. सोशल मीडिया)
Nag Panchami 2025: आज देशभर में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। यह नागदेवता की पूजा के लिए श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी पर विधि विधान के साथ पूजा करने का महत्व होता है वहीं पर कई मान्यताएं और परंपराएं भी प्रचलित होती है। नाग पंचमी के दिन पूजन के साथ ही देश के कुछ हिस्सों में गुड़िया को पीटा जाता है। इस अनोखे पर्व में बहनें कपड़ों की गुड़िया बनाती हैं जिसे भाई डंडों से पीटते हैं। चलिए जानते है इस परंपरा के बारे में विस्तृत रूप से…
नाग पंचमी के मौके पर यह परंपरा उत्तरप्रदेश के कई स्थानों पर मनाई जाती है। बताया जाता है कि, इस त्योहार को मनाने के लिए बहनें गुड़िया बनाती हैं। आमतौर पर लड़कियां पुराने कपड़े से बनी गुड़िया को तैयार करके उसे चौराहे या तालाब के पास रखती हैं। इसके बाद वहां भाई एकत्रित होकर दूसरे बच्चे के साथ डंडे से पीटते हैं। इस तरह से इस परंपरा को बच्चे निभाते है।
इस परंपरा की शुरुआत एक कहानी से हुई है। जहां पर प्रचलित कथा अनुसार एक लड़का था जो भगवान शिव का बड़ा भक्त था। इसलिए रोज सुबह मंदिर जाकर भगवान की विधिवत पूजा करता है जहां उस लड़के को प्रतिदिन नाग देवता के दर्शन भी होते थे। एक बार सावन के महीने में वह लड़का अपनी बहन के साथ शिवलिंग की पूजा करने के लिए मंदिर में गया। भाई-बहन की पूजा से खुश होकर नाग देवता उन दोनों के पास आकर बैठ गए। लड़के की बहन नाग को देखकर डर गई। उसे सोचा कि कहीं नाग उसके भाई को डस न ले इसलिए उसने नाग को डंडे से पीटना शुरू कर दिया। जब भाई ने ये देखा तो उसे सांप की हालत पर बहुत दुख हुआ।
उस दौरान मंदिर के पुजारी ने कहा कि, तुम्हारी बहन को सर्प दोष लग चुका है जिसके कई भयंकर परिणाम तुम्हारी बहन को भुगतने पड़ सकते है। इस बात को सुनकर लड़के ने सर्प दोष की मुक्ति का उपाय पूछा तब पुजारी ने उसे उपाय बताया।
जहां पर पंडित की बताई हुई विधि के अनुसार, लड़के एक कपड़े की गुड़िया बनाई और उसे 11 बार सीधा और 11 बार उल्टा पीटा। फिर उस गुड़िया को जमीन में गहराई में गाढ़ दिया और इसके बाद उसने नाग देव की विधि विधान पूजा की। इस तरह का उपाय अपनाने के बाद लड़की पर से सर्प दोष मुक्त हो गया। इसके बाद से यह परंपरा आज तक निभाई जाती है।
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इस गुड़िया के पीटने की परंपरा के अलावा एक और कहानी का उल्लेख मिलता है। पुराने समय में लोग सांपों से बहुत डरते थे। इसलिए वो इस दिन गुड़िया पीटकर सांपों की प्रतीकात्मक रूप से पिटाई की जाती थी जिससे सांपों से बचाव की भावना जागृत होती थी। इस परंपरा को धार्मिक अनुष्ठान से जोड़कर देखा जाता था और आशीर्वाद प्राप्ति की कामना की जाती है।