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मराठा वीरांगना रानी अहिल्याबाई होल्कर की वो बातें, जो शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे, जानिए उनकी कुछ अनकही कहानियां

भारतीय इतिहास में कुछ ऐसी वीरांगना हुई हैं जो न केवल अपने साहस के लिए जानी जाती हैं, बल्कि नारी शक्ति और समाज सुधारों के क्रांतिकारी कदमों के लिए भी जानी जाती हैं।

  • By navabharat
Updated On: May 31, 2025 | 10:02 AM

(Image-Twitter-@DrShyamJha)

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: भारतीय इतिहास में कुछ ऐसी वीरांगना हुई हैं जो न केवल अपने साहस के लिए जानी जाती हैं, बल्कि नारी शक्ति और समाज सुधारों के क्रांतिकारी कदमों के लिए भी जानी जाती हैं। इन्हीं महिलाओं में एक नाम आता है मालवा प्रांत की महारानी अहिल्याबाई होल्कर का। (Queen Ahilyabai Holkar) महज 8 साल में शादी होने के बाद जब पति की मौत हुई, तो 29 साल की अहिल्याबाई ने सती होने का फैसला कर लिया था। लेकिन, उनके पिता समान ससुर ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। बाद में वहीं अहिल्याबाई ऐसी महिला के रूप में विख्यात हुई जिसके किस्से आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। आज महारानी अहिल्याबाई होल्कर के पुण्यतिथि पर आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छोन्दी गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम मनकोजी शिंदे और माता सुशीला शिन्दे था। उस समय लड़की को शिक्षा का अधिकार नहीं था, पर इनके पिता ने न सिर्फ इनको पढ़ाया, बल्कि हर कार्य में कुशल और निपुण बनाया।

एक बार की बात है, महाराजा मल्हार राव होलकर पुणे के दौरे से लौट रहे थे और सायंकाल होने के कारण उन्होंने पास में ही छेन्दी गांव में विश्राम करने का निश्चय किया और उन्होंने वहां एक 8 वर्ष की बालिका को देखा। वो उसकी उदारता और चंचल स्वभाव को निहारते रहे और उसके दयाभाव को देख प्रसन्न हो गए। उस 8 वर्ष की बालिका में उन्होंने मालवा का भविष्य देख लिया और उनकी पैनी नज़र और अहिल्या को पुत्रवधु के रूप में अपनाने का निश्चय मालवा का भविष्य बदलने वाला था। उन्होंने मानकोजी से अपने बेटे खंडेराव के लिए अहिल्या का हाथ मांगा और आठ वर्ष की यह बालिका इंदौर की रानी बन गयी।

अहिल्या अपने चंचल स्वभाव और उदारता के कारण ससुराल में जल्द ही सबकी प्रिय हो गयी। सासु के देखरेख में वो घर के सारे कार्य जल्द ही सिख गयी और ससुर के साथ राजकार्य के कार्य मे अपना सहयोग देने लगी और इतना ही नही उसने अपनी पति को भी मार्गदर्शक की तरह राह दिखायी और उन्हें एक कुशल योद्धा बनाने में अपना योगदान दिया और उन्हें दरबार मे उनकी परछाई बनकर उन्हें सही मार्ग दिखाया। 1745 को उन्हें एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुयी और 1748 में उन्हें एक पुत्री भी हुई।

अहिल्याबाई का जीवन सुखपूर्वक व्यतीत हो रहा था, पर वक़्त का पहिया कब आ के थम जाए कोई नही कह सकता, उनके पति का एक युद्ध दौरे में स्वर्गवास हो गया। अहिल्या पर व्रज सा प्रहार हुआ और उन्होंने सती होने का मानस बना लिया पर ससुर के समझाने पर उन्होंने सती न होकर बल्कि राज्य के कल्याण और उज्जवल भविष्य के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

कुछ समय बाद उनके ससुरजी का भी देहांत हो गया। अहिल्याबाई जैसे अंदर से टूट गयी थी क्योंकि पिता समान ससुर को खोना उनके लिए आसान नही था। इतना ही नही एक साल बाद उनका पुत्र भी उन्हें छोड़ के चला गया जिससे अहिल्या अकेली पड़ गयी। अहिल्या के ऊपर पूरे राज्य की जिम्मेदारी आ गयी। अहिल्या ने तुकोजीराव को अपना सेनापति नियुक्त किया और राज्य कार्य को बहुत अच्छे से संभाला और राज्य का विस्तार भी किया। अहिल्याबाई अपनी राजधानी इंदौर से महेश्वर ले गईं।

अहिल्याबाई ने अपने शाशनकाल में बहुत से मंदिरों का निर्माण किया, कई कुएं खुदवाए। प्याऊ खुलवाए और अनेक धर्मशाला का निर्माण करवाए। अहिल्याबाई को अपनी उदारता और प्रजा के प्रति असीम प्रेम और गरीबो के प्रति दयाभाव की वजह से उन्हें देवी का दर्जा भी दिया गया है। अहिल्याबाई ने महिलाओ के विकास के लिए भी काफी कदम उठाए थे और उन्होंने तो एक महिला सेना भी तैयार की थी। अहिल्याबाई नारी जाति का एक ऐसा उदाहरण है, जो प्रेरणा बनकर आज भी नारी का मार्ग प्रशस्त करती है और प्रेरणा देती है।

अहिल्याबाई के शासन काल में चलने वाले सिक्कों पर ‘शिवलिंग और  नंदी’ अंकित रहते थे। उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण और अन्य सुविधाओं के लिए जमकर पैसा खर्च किया, जिसकी वजह से राजकोष की स्थिति डगमगा गई थी। इसके बाद उन्हें राज्य की चिंता सताने लगी। साथ ही साथ प्रियजनों के वियोग के शोक भार को   अहिल्याबाई संभाल नहीं सकीं और 13 अगस्त 1795 को उनका निधन हो गया। अहिल्‍याबाई होल्‍कर को एक ऐसी महारानी के रूप में जाना जाती है, जिन्‍होंनें भारत के अलग अलग राज्‍यों में मानवता के लिए अनेक कार्य किए थे। इसलिए भारत सरकार तथा विभिन्‍न राज्‍यों की सरकारों ने उनकी प्रतिमाएँ बनवायी हैं और उनके नाम से कई कल्‍याणकारी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।

Those things of maratha heroine rani ahilyabai holkar which probably very few people would know know some of her untold stories

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Published On: Aug 13, 2022 | 06:00 AM

Topics:  

  • Ahilyabai Holkar

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