टू मैन टेक्निकल ड्रोन। इमेज-सोशल मीडिया
SDE Varuna HA drone: दुनिया की सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी से इंडियन आर्मी अब लैस हो रही है। चाहे मिसाइल हों या ड्रोन। सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने SDE Varuna HA के रूप में नया ड्रोन बनाया है। यह साधारण ड्रोन नहीं है। यह एक शक्तिशाली उड़ने वाला वाहन है, जिसे इंसानों और सामान को ढोने के लिए डिजाइन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह स्वदेशी तकनीक भारत की रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। इसका नाम वरुण रखा गया है।
इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत इसका डुअल यूज होना है। मतलब इसे युद्ध के मैदान में जवानों को पहुंचाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है और आम लोगों की मदद के लिए भी। यह ड्रोन लद्दाख और सियाचिन जैसे इलाकों में बहुत काम आएगा। दरअसल, वह ऑक्सीजन कम होती और रास्ता दुर्गम होता है। इसे चलाने के लिए बड़े रनवे की जरूरत नहीं है। यह छोटी-सी जगह से सीधे ऊपर उड़ सकता है।
यह वाहन मल्टी कॉप्टर की तरह दिखता है। मगर, इसकी ताकत छोटे विमान से कम नहीं है। इसमें दो लोग आराम से बैठ सकते हैं। यह सेना के उन मिशनों के लिए बेहतरीन है, जहां दो जवानों को तुरंत ऊंची चोटी पर पहुंचना हो। ड्रोन के नाम में HA का मतलब हाई एल्टीट्यूड है। इसका मतलब है कि यह बहुत ऊंचाई वाले इलाकों में भी आसानी से उड़ सकता है, जहां हवा पतली होती है। इसे भारत में ही डिजाइन और तैयार किया गया है। यह आत्मनिर्भर भारत का बड़ा उदाहरण है।
सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने इसमें सुरक्षा और रफ्तार का बेहतरीन तालमेल बिठाया है। इसे या तो इसके अंदर बैठा इंसान चला सकता या फिर इसे नीचे जमीन से रिमोट के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है। यह खुद अपना रास्ता तय करने में सक्षम है। यह दो इंसानों के साथ उनके जरूरी हथियारों और रसद को ले जा सकता है। उड़ान के दौरान तकनीकी खराबी आती है तो इसमें बैलिस्टिक पैराशूट लगा है जो पूरे वाहन को सुरक्षित जमीन पर उतार देगा।
सेना के लिए वरुण ड्रोन कई मुश्किलों का समाधान लाया है। जंग के दौरान किसी पहाड़ी चोटी पर तुरंत जवानों की जरूरत है तो वरुण उन्हें मिनटों में वहां पहुंचाएगा। उन्हें थकान भरी चढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी। जवान जख्मी होता है तो उसे अस्पताल पहुंचाने को बड़े हेलिकॉप्टर का इंतजार नहीं करना होगा। वरुण उसे तुरंत बेस कैंप ले पहुंचाएगा। यह सिर्फ इंसानों को नहीं, बल्कि मशीनगन, बारूद, भोजन भी उन स्थानों पर पहुंचा सकता है, जहां गाड़ियां नहीं जा सकतीं।
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भारत की सीमाएं बहुत कठिन इलाकों में हैं। लद्दाख और सियाचिन जैसे क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और खराब रास्तों के कारण रसद पहुंचाना मुश्किल होता है। वरुण यहां एक छोटे और फुर्तीले ट्रांसपोर्टर की भूमिका निभाएगा। इसका आकार छोटा और यह बहुत कम शोर करता है। इससे दुश्मन को भनक लगे बिना जवान उनके पीछे पहुंच सकते हैं।