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अवैध निर्माण पर यूँ चलेगा सरकार का बुलडोजर? पढ़ें सुप्रीम कोर्ट की यह ख़ास गाइडलाइंस

लडोजर एक्शन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस ही आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। अवैध निर्माण तोड़ने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस जारी कर दी है।

  • By राहुल गोस्वामी
Updated On: Nov 13, 2024 | 12:21 PM

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

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नई दिल्ली: जहां एक तरफ बुलडोजर एक्शन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस ही आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। वहीं आज से ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ये आदेश पूरे देश के लिए सर्व मान्य है।

इसके साथ ही आज कोर्ट ने साफ कहा है कि, लोगों के घर सिर्फ इसलिए गिरा दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं तो यह पूरी तरह ही असंवैधानिक होगा। आज न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि लोगों के घर सिर्फ इसलिए ध्वस्त कर दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं, तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा। न्यायमूर्ति गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिलाएं और बच्चे रातभर सकड़ों पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है।

लेकिन इस फेसले का बाद अब बड़ा सवाल ये है कि, जो भी अवैध निर्माण हैं फिर उन पर बुलडोजर कैसे चलेगा। अब इस बाबत भी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस जारी कर दी है।

घर गिराने ये खास गाइडलाइंस…

  • घर गिराने से पहले 15 दिन का नोटिस देना होगा।
  • रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भी भेजना होगा।
  • नोटिस में साफ बताना होगा कि, घर कैसे अवैध है।
  • नोटिस को घर पर भी चिपकाना होगा।
  • नोटिस की जानकारी जिले के DM को दी जाएगी।
  • नोटिस जारी किए जाने के 15 दिनों के भीतर भी कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए।
  • ढहाने की कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई जाए ।
  • यदि सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत निर्माण हो या अदालत द्वारा विध्वंस का आदेश दिया गया हो तो वहां उसके निर्देश लागू नहीं होंगे।

इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने बुलडोजर न्याय’ पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में आज अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी किये और कहा कि कार्यपालक अधिकारी न्यायाधीश नहीं बन सकते, आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते।

बता दें कि, बीते 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्ति नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता और कानून के शासन में ‘‘बुलडोजर न्याय” पूरी तरह अस्वीकार्य है। बेंच ने कहा था कि राज्य को अवैध अतिक्रमणों या गैरकानूनी रूप से निर्मित संरचनाओं को हटाने के लिए कार्रवाई करने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा । (एजेंसी इनपुट के साथ)

Supreme court bulldozer action guidelines illegal construction days notice

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Published On: Nov 13, 2024 | 12:21 PM

Topics:  

  • Supreme Court

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