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अमेरिका के H1-B वीजा शुल्क पर भारत में सियासत गरमाई, मोदी पर हमलावर हुआ विपक्ष, बिफरे केजरीवाल

America ने एच-1बी वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर शुल्क लगाने का बड़ा फैसला लिया है। इस कदम ने भारतीय राजनीति में नई हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक असफलता करार दिया।

  • By प्रतीक पांडेय
Updated On: Sep 21, 2025 | 07:27 AM

H1-B वीजा को लेकर मोदी पर हमलावर हुआ विपक्ष, फोटो- सोशल मीडिया

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H-1B Visa Fees: एच-1बी वीजा पर अमेरिकी सरकार का नया शुल्क फैसला भारत में गरम चर्चा का विषय बन गया है। वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर की भारी फीस लगाने से भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों पर सीधा असर पड़ सकता है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेर लिया है।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत अन्य दलों का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका से इस पर सख्ती से बात करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। वहीं सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि पूरे मामले का आकलन हो रहा है और उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी प्रशासन स्थिति को समझते हुए आगे कदम उठाएगा।

केजरीवाल का सीधा वार

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले पर तीखा हमला बोला। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 140 करोड़ लोगों का प्रधानमंत्री आखिर इतना लाचार क्यों है। केजरीवाल का कहना था कि अगर प्रधानमंत्री देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो उन्हें मजबूत रुख दिखाना चाहिए और अमेरिका से इस पर सख्त जवाब मांगना चाहिए। इस बयान ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है और विपक्ष को केंद्र पर हमला बोलने का नया हथियार मिल गया है।

कांग्रेस भी आक्रामक

कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर सवाल उठाए। पार्टी नेताओं ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से भारतीय आईटी सेक्टर और हजारों पेशेवरों का भविष्य प्रभावित होगा। उनका आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी विदेशी दौरों पर खूब जाते हैं, लेकिन वास्तविक समस्याओं को उठाने और सुलझाने की क्षमता नहीं दिखाते। कांग्रेस ने इसे कूटनीतिक असफलता बताते हुए कहा कि यह सरकार केवल प्रचार की राजनीति करती है लेकिन जब असली चुनौती सामने आती है तो खामोश रहती है। कांग्रेस के बयान से साफ है कि वह इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक ले जाने की तैयारी में है।

विदेश मंत्रालय की सफाई

विवाद बढ़ने पर सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय सामने आया। मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी फैसले के निहितार्थों का अध्ययन किया जा रहा है और इसमें उद्योग जगत, टेक्नोलॉजी कंपनियों और अन्य पक्षों की राय भी शामिल की जा रही है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस कदम से कई परिवारों को आर्थिक और मानवीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत और अमेरिका दोनों की साझेदारी नवाचार और तकनीकी विकास पर आधारित रही है और इस तरह का कदम रिश्तों पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी अधिकारी स्थिति की गंभीरता को समझेंगे और व्यावहारिक समाधान निकालेंगे।

भारत-अमेरिकी रिश्तों पर असर

भारत ने साफ संकेत दिए हैं कि यह फैसला सिर्फ भारतीय पेशेवरों के लिए नहीं बल्कि अमेरिकी उद्योगों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है। लंबे समय से भारतीय आईटी विशेषज्ञ और टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स अमेरिकी कंपनियों की रीढ़ बने हुए हैं। उनकी विशेषज्ञता ने अमेरिका को तकनीकी क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। यदि वीजा आवेदन शुल्क इतना बढ़ा दिया जाता है, तो इससे टैलेंट का आदान-प्रदान बाधित होगा और अमेरिका की कंपनियां भी प्रभावित होंगी। भारत का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों की कसौटी साबित हो सकता है।

यह भी पढ़ें: भाजपा के ‘बाहुबल’ पर तेजस्वी का अटैक, समस्तीपुर में कहा- बंदूक वालों को कलम की ताकत समझ नहीं आती

भारत में राजनीति गरमाई

एच-1बी वीजा शुल्क विवाद अब केवल विदेश नीति तक सीमित नहीं रहा। यह घरेलू राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गया है। विपक्ष इसे मोदी सरकार की कमजोरी बताकर जनता के बीच ले जाना चाहता है, ताकि यह आने वाले चुनावों में चर्चा का विषय बने। वहीं केंद्र सरकार कोशिश कर रही है कि इस विवाद को शांत किया जाए और जनता के बीच यह संदेश दिया जाए कि सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। कुल मिलाकर, यह विवाद आने वाले दिनों में न सिर्फ भारत-अमेरिका रिश्तों को प्रभावित करेगा, बल्कि भारतीय राजनीति के एजेंडे में भी शीर्ष पर रहेगा।

Politics heats up in india over us h1 b visa fees opposition attacks pm modi

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Published On: Sep 21, 2025 | 07:27 AM

Topics:  

  • America News
  • India-America Relations
  • Today Hindi News

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