संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (फोटो- सोशल मीडिया)
Parliament Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र का समापन सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस और हंगामे के बीच शुरू हुआ था। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस सत्र को सरकार और देश के लिए पूरी तरह सफल करार दिया, जबकि विपक्ष के लिए असफल बताया। रिजिजू का कहना है कि विपक्ष के विरोध और लगातार हंगामे के बावजूद सरकार ने अपने सारे विधायी कार्य पूरे कर लिए और यह सत्र 100 प्रतिशत सफलता दर वाला रहा। उन्होंने कहा कि संसद को ठप करना प्रक्रिया में बाधा पहुंचाना और सदन की कार्यवाही न चलने देना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है।
रिजिजू ने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा में कुल 27 विधेयक पारित हुए। लोकसभा में 14 विधेयक पेश हुए जिनमें से 12 पास हुए, जबकि राज्यसभा ने 15 विधेयकों को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती चाहे विपक्ष कितना भी विरोध करे, जनता के हित में सरकार का काम लगातार जारी रहता है। इस दौरान केवल ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिन की चर्चा शांति से संपन्न हो सकी, बाकी समय विपक्ष ने जमकर रूकावट पैदा करी है।
रिजिजू ने विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के फ्लोर लीडर और व्हिप कभी-कभी सरकार से सहमति बना लेते हैं, लेकिन अपनी पार्टी नेतृत्व के दबाव में उसे लागू नहीं कर पाते। उन्होंने यह भी कहा कि नए सांसद बहस और चर्चा से सीख सकते हैं, लेकिन उनके नेता खुद नहीं सीखते। उनका इशारा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की ओर था। रिजिजू ने विपक्ष के व्यवहार को लोकतंत्र के लिए हानिकारक करार दिया और कहा कि लगातार हंगामा करना संसद के कामकाज को कमजोर करता है।
सत्र के दौरान विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची की विशेष समीक्षा को लेकर लगातार संसद की कार्यवाही बाधित की। विपक्ष चर्चा की मांग करता रहा, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकाय के प्रशासनिक कार्य पर संसद में बहस संभव नहीं है। इसी बीच गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन अहम विधेयकों को रिजिजू ने ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बताया।
इन विधेयकों में प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री यदि किसी गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटना अनिवार्य होगा। रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को भी इस कानून के दायरे में लाकर पारदर्शिता और जवाबदेही का उदाहरण दिया।
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मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे के बावजूद सरकार ने अपने सभी विधायी कार्य पूरे किए। रिजिजू के अनुसार यह सत्र सरकार की जिम्मेदारी निभाने और जनता के हित में काम करने का प्रमाण है। वहीं विपक्ष को इस सत्र से कोई ठोस उपलब्धि नहीं मिली।