संयुक्त संसदीय समिति आज करेगी 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर चर्चा, ये दिग्गज देंगे अपनी राय
नई दिल्ली: पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और वरिष्ठ कानून विशेषज्ञ और वकील हरीश साल्वे भी साझा संसदीय समिति के सामने एक देश एक चुनाव को लेकर अपनी राय रखेंगे। यह दोनों विधिवेत्ता होली से पहले 11 मार्च यानी आज समिति की चौथी मीटिंग के सामने उपस्थित रहेंगे।
होली के बाद पांचवीं बैठक 17 मार्च को होनी है। इस बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह समिति के सामने अपनी बात रखेंगे।
पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई 13 महीनों के कार्यकाल के बाद 2020 में राज्यसभा सदस्य को तौर पर मनोनीत किए गए थे। साझा संसदीय समिति ने अपनी तीसरी मीटिंग में पूर्व सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित से भी इस मामले पर सलाह मशविरा किया था।
उन्होंने कहा था कि इस विधेयक का प्रस्तावित मौजूदा स्वरूप सुप्रीम कोर्ट में लाए जाने पर रद्द भी हो सकता है।
जिन मुद्दों पर रद्द होने के आसार हो सकते हैं और उनके बारे में उन्होंने चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करने जैसे कई अहम सुझाव भी दिए। वहीं पूर्व विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने भी विधि आयोग की सिफारिशों के आधार पर अपने विचार तथा सुझाव समिति को दिए थे।
चुनाव आयोग को विभिन्न तरह के खर्चों का सामना करना पड़ता है। इनमें अधिकारियों और सुरक्षा बलों की तैनाती, मतदान केंद्रों का निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की खरीदारी, और अन्य जरूरी सामानों की व्यवस्था शामिल है। 2019 के चुनावों के बाद EVM खरीद और रखरखाव पर भारी खर्च हुआ। इसके अलावा, प्रशासनिक खर्च भी एक बड़ा भाग है।
लोकसभा चुनाव का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है, जबकि राज्य विधानसभा चुनाव का खर्च राज्य सरकार उठाती है। अगर दोनों चुनाव एक साथ होते हैं, तो खर्च को केंद्र और राज्य के बीच बंट जाएगा।
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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ योजना के तहत करीब 13.6 लाख पोलिंग बूथ, 26.5 लाख बैलेट यूनिट्स और 17.8 लाख कंट्रोल यूनिट्स की जरूरत होगी। इसके साथ ही नए वोटिंग मशीनों के उत्पादन में सेमीकंडक्टर की कमी आ सकती है, जिससे पूरी प्रक्रिया में देरी हो सकती है। चुनाव सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत होगी और करीब 7 लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए जा सकते हैं।