इल्तिजा मुफ़्ती (कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने कहा है कि ‘हिंदुत्व’ एक बीमारी है, जिससे हिंदू धर्म बदनाम हो रहा है और विशेषकर मुसलमानों को पीट-पीट कर मार डालने और उनके उत्पीड़न को बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही भाजपा इसे अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए उपयोग कर रही है। ये सब देखकर भगवान राम भी बेबसी और शर्म से सिर झुका लेंगे। बता दें कि नाबालिग मुस्लिम लड़कों को पीटा जा रहा है क्योंकि उन्होंने ‘राम’ का नाम लेने से इनकार कर दिया, इसीलिए भाजपा ने इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है। और अपमानजनक शब्दों के लिए माफी भी मांगी है।
इल्तिजा मुफ़्ती ने ‘X’पर इस घटना का वीडियो पोस्ट किया है। जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की जा रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसको पोस्ट कर लिखा- ये सब देखकर भगवान राम भी बेबसी और शर्म से सिर झुका लेंगे, नाबालिग मुस्लिम लड़कों को सिर्फ इसलिए चप्पलों से पीटा जा रहा है क्योंकि उन्होंने ‘राम’ का नाम लेने से मना किया। हिंदुत्व एक बीमारी है, जिसने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया है और भगवान के नाम को कलंकित किया जा रहा है।
Hindutva is a disease, and we have to treat this disease 🔥
– Iltija Mufti#HindutvaDisease #JusticeForAtul #BengaluruSuicideCase pic.twitter.com/zskhr7uhqi
— তন্ময় l T͞anmoy l (@tanmoyofc) December 11, 2024
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इसके साथ ही इल्तिजा ने कहा है कि- हिंदुत्व और हिंदू धर्म में काफी अंतर है। हिंदुत्व नफरत का दर्शन है जिसे सावरकर ने 1940 के दशक में भारत में फैलाया। जिसका उद्देश्य हिंदुओं का आधिपत्य स्थापित करना और दर्शन ये था कि भारत हिंदुओं का है और हिंदुओं के लिए ही है।
बता दें कि हिंदू धर्म भी एक ऐसा धर्म है जो धर्मनिरपेक्षता, प्रेम और करुणा को बढ़ावा देता है। हमें जानबूझकर इसको विकृत नहीं करना चाहिए। जो भी मैने कहा है वो खुलेआम कहा है। मैं हिंदुत्व की आलोचना की है और मैं अपने बयान पर कायम रहूगीं। हिंदुत्व एक बीमारी है और हमें इसका इलाज करना जरुरी है। और उन्होंने ‘जय श्री राम’ का नारा अब ‘रामराज्य’ के बारे में नहीं रह गया है और इसका उपयोग ‘मॉब लिंचिंग’ के दौरान किया जाता है।
हलांकि इल्तिजा ने कहा है कि- मेरी पोस्ट और इस्लाम के बारे में की गई टिप्पणियों पर बहुत आक्रोश है। इस्लाम के नाम पर की गई निरर्थक हिंसा ही सबसे पहले ‘इस्लामोफोबिया’ का कारण बनी है। और उन्हें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए माफी मांगनी चाहिए क्योंकि ये शब्द बर्दाश्त करने लायक नही है।