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हाथरस : उत्तर प्रदेश सरकार की एजेंसियों ने हाथरस में हुई भगदड़ की घटना के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को पकड़ने के लिए राज्य के साथ-साथ पड़ोसी राजस्थान तथा हरियाणा में तलाश शुरू कर दी है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। फिलहाल तमाम एजेंसियां पूछताछ के लिए प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ की भी तलाश कर रही हैं।
सूत्रों की मानें तो , बाबा की लोकेशन मैनपुरी के आश्रम में ही है। इस हादसे के बाद से ही भोले बाबा इस आश्रम में जा चुका था। वह अपनी लग्जरी गाड़ी के जरिए घटनास्थल से सीधे मैनपुरी आश्रम ही पहुंचा था। इधर पुलिस ने उसकी तलाश में कई स्थानों पर छापे मारे हैं। हालांकी पुलिस को बाबा के मैनपुरी स्थित आश्रम पर होने की जानकारी भी मिली थी। लेकिन आश्रम पर छापा मारने पर पुलिस को वहां बाबा नहीं मिला था। पुलिस इस बीच करीब 1 घंटे तक मैनपुरी आश्रम पर रही। पुलिस की मानें तो इस आश्रम पर 50 से 60 महिलाएं जरुर मिली थीं।
हाथरस जिले के फुलरई गांव में दो जुलाई को ‘भोले बाबा’ के सत्संग के बाद मची भगदड़ में कुल 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें अधिकतर महिलाएं थीं। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में नामजद आरोपी के तौर पर सिर्फ मुख्य सेवादार मधुकर का नाम है और सूरजपाल का नाम दर्ज नहीं किया गया है। यह प्राथमिकी हाथरस के सिकंदराराऊ पुलिस थाने में दर्ज की गई जिसमें मधुकर के अलावा ‘‘कई अज्ञात आयोजकों” को भी आरोपी बनाया गया और मामले में अब तक छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मामले पर पुलिस की मानें तो किसी को भी क्लीनचिट नहीं दी गई है और जांच जारी है और सरकारी एजेंसियां फरार मुख्य आरोपी की तलाश कर रही हैं। एजेंसियां, पूछताछ के लिए प्रवचनकर्ता की भी तलाश कर रही हैं। पुलिस के अनुसार तलाशी अभियान के तहत टीम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और राज्य के पूर्वी जिलों की खाक छान चुकी है। पुलिस टीम राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भी तलाश कर रही है।
इधर भगदड़ की घटना की जांच को लेकर गठित SIT की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी को सौंप दी गई है। सूत्रों के अनुसार गोपनीय रिपोर्ट में हाथरस के जिलाधिकारी आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान शामिल हैं जिन्होंने भगदड़ के कारण पैदा हुई आपातकालीन स्थिति को देखा था।
पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को हाथरस त्रासदी की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग इस पहलू से भी जांच करेगा कि यह घटना कहीं कोई ‘‘साजिश” तो नहीं थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)