जीपीसी की मीटिंग (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर गठित संसदीय समिति 24 और 25 जनवरी को प्रस्तावित कानून पर खंड-दर-खंड विचार करेगी। यह रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया है। समिति की रिपोर्ट संसद के बजट सत्र के दौरान पेश किए जाने की उम्मीद है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति ने देश भर के हितधारकों के साथ अपनी परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले समिति के सदस्यों की राय लेने की दिशा की तरफ बढ़ रही है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समिति को आगामी बजट सत्र के आखिरी दिन तक कार्यकाल विस्तार दिया था। बजट सत्र 31 जनवरी से चार अप्रैल तक चलेगा। हालांकि बीच में कुछ दिनों का अवकाश होगा। सदस्य अब मसौदा कानून में अपने संशोधनों का प्रस्ताव कर सकते हैं और उन पर मतदान किया जाएगा। विपक्षी सांसद, जो विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं, संशोधन का प्रस्ताव दे सकते हैं। हालांकि, इन्हें स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि समिति में भाजपा और उसके सहयोगी दल बहुमत में हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि खंड-दर-खंड विचार के आधार पर मसौदा रिपोर्ट तैयार की जाएगी और विधायी विभाग के साथ साझा की जाएगी।
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इससे पहले 26 सितंबर से 1 अक्टूबर तक लगातार 5 दिनों तक बैठकें कर 7 राज्यों के अल्पसंख्यक निकायों से मुलाकात की थी। इस दौरान जेपीसी ने 26 सितंबर को मुंबई और अगले दिन 27 सितंबर को गुजरात, 28 सितंबर को हैदराबाद, 30 सितंबर को चेन्नई और 1 अक्टूबर को बेंगलुरु का दौरा किया था। इसके साथ ही समिति ने स्थानीय अल्पसंख्यक आयोग और अन्य हितधारकों के साथ भी बैठकें कीं।
क्या है वक्फ अधिनियम?
वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमन के लिए बनाया गया कानून है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का समुचित संरक्षण एवं प्रबंधन सुनिश्चित करना है, ताकि इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक एवं धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जा सके। चूंकि वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है ‘रोकना’ या ‘समर्पित करना’, इसलिए इस्लाम में वक्फ संपत्ति को एक स्थायी धार्मिक एवं धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में समर्पित किया जाता है, जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों, गरीबों की मदद, शिक्षा आदि के लिए किया जाता है।