कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन फोटो)
Red Fort Blast: देश का दिल कही जाने वाली राजधानी दिल्ली सोमवार की शाम को दर्दनाक धमाके से दहल गई। इस घटना में अब तक 10 लोगों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही 24 लोग घायल भी हुए हैं। एक तरफ इस हादसे ने जहां देश को दहला के रख दिया है, वहीं कई सुलगते हुए सवाल भी छोड़े हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में हुए इस भीषण ब्लास्ट से जुड़े इन सवालों के जवाब हर कोई तलाशना चाह रहा है। क्योंकि यह पहलगाम के बाद यह इस साल का दूसरा बड़ा हमला है। जहां एक साथ कई फेलियर सामने आ रहे हैं।
दिल्ली में हुए इस इतने भीषण धमाके के बाद भी अभी तक इसे आतंकी हमला घोषित नहीं किया गया है। जबकि, पहली नजर में ही यह आतंकी हमला लगा रहा है। क्योंकि जिस हुंडई आई-20 कार में धमाका हुआ है, उसका फरीदाबाद से लेकर पुलवामा तक का कनेक्शन सामने आया है।
दूसरा यदि इस धमाके की वजह कार के सीएनजी या पेट्रोल टैंक को कहा जाए तो इतनी हाई इंटेंसिटी का ब्लास्ट संभव नहीं हो सकता है। ऐसे में सवाल है कि सरकार या सुरक्षा एजेंसियां इसे टेरेरिस्ट अटैक क्यों नहीं घोषित कर रही? कहीं इसके पीछे बिहार विधानसभा चुनाव तो वजह नहीं है।
लाल किले के करीब हुए इस ब्लास्ट के बाद सवाल यह भी है कि दिल्ली को दहलाने का यह सामान आखिर कहां से आया? सुबह एनसीआर के फरीदाबाद में 2900 किलो आरडीएक्स बरामद हुआ था। ऐसे में संभावना यह भी है कि सुरक्षा एजेंसियां पूरे विस्फोटक को बरामद करने में विफल रहीं। हो सकता है अभी और भी कहीं विस्फोटक रखा हुआ हो और फटने का इंतजार कर रहा हो!
देश की राजधानी दिल्ली के सबसे उस इलाके में धमाका होता है, जो सेंसेंटिव माना जाता है। इससे पहले इंटेलिजेंस एजेंसियों को भनक तक नहीं लगती है। पहलगाम के बाद देश में यह साल का दूसरा बड़ा हमला है जहां, पहली नजर ने इंटेलिजेंस फेल्योर साफ दिखाई दे रहा है।
एक सवाल यह भी है कि धमाके के लिए दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक को क्यों चुना गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि आतंकियों का मकसद 2001 जैसे हमले को दोहराने की थी, लेकिन जब फरीदाबाद में विस्फोटक पकड़ा गया और ऐजेंसियों ने कनेक्शन खंगालने शुरू किए तो जल्दबाजी में लाल किले के आस-पास को टारगेट बना लिया गया?
इस घटना से जुड़ा पांचवा सवाल यह भी है कि सोमवार की सुबह फरीदाबाद में 2900 किलो आरडीएक्स बरामद होने के बावजूद दिल्ली पुलिस सोती क्यों रह गई? जबकि उसके पहले से कहीं अधिक सतर्क रहने की जरूरत थी। सघन चेकिंग अभियान चलाना चाहिए था। दिल्ली में लगे सीसीटीवी कैमरों को मॉनिटर करना चाहिए था।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ सत्ताधारी दल के सभी नेता समय-समय पर दावा करते रहे हैं कि देश सुरक्षित हाथों में है। लेकिन, जब दिल्ली के लाल किले जैसे इलाके में धमाका होता है, जहां से स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी खुद भाषण देते हैं। तो यह सवाल पूछना लाजमी हो जाता है कि क्या वाकई देश सुरक्षित हाथों में है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली ब्लास्ट का पुलवामा कनेक्शन आया सामने, राजधानी को दहलाने वाले घटना को लेकर बड़ा खुलासा
देश के दिल को दहलाने वाले दर्दनाक धमाके के बाद उठ रहे इन सवालों की फेहरिस्त का आखिरी और सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसका जवाबदेह कौन है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनके हाथों में देश की बागडोर है। गृह मंत्री अमित शाह जिनके जिम्मे कश्मीर से लेकर दिल्ली तक का लॉ एंड ऑर्डर है, या फिर अजीत डोभाल, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।