Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़
  • वायरल
  • अन्य
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • करियर
    • धर्म
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Ganesh Chaturthi |
  • Tariff War |
  • Bihar Assembly Elections 2025 |
  • Weather Update |
  • Aaj ka Rashifal |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

तू न रोना के तू है भगत सिंह की मां, मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं

  • By शुभम सोनडवले
Updated On: Mar 23, 2022 | 06:00 AM

Pic: Wall Paper Cave

Follow Us
Close
Follow Us:

नई दिल्ली. ‘तू न रोना के तू है भगत सिंह की मां, मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं।’ ये महज कुछ शब्‍द नहीं है बल्कि एक सच्‍चाई है। 91 वर्ष बाद भी भगत सिंह, सहित राजगुरू और सुखदेव हर किसी के रग-रग में जिंदा हैं। इस जमीं पर जब तक भारत और ब्रिटेन का वजूद रहेगा तब तक भगत सिंह का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज रहेगा। ऐसा इसलिए क्‍योंकि भारत की आजादी के लिए भारत माँ को वो लाल जिसने छोटी सी ही उम्र में अपनी जान देश के नाम कर दी। शहीद-ए-आजम भगत सिंह जिनकी आज 91वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 23 मार्च, 1931 को उन्हें असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में अपने साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर चढ़ा दिया था।

शहीद-ए-आजम भगत सिंह का सफर

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। यह स्थान पर अब पाकिस्तान का हिस्सा है। हर भारतीय की तरह भगत सिंह का परिवार भी जैसे देश की आजादी का पैरोकार था। उनके चाचा अजीत सिंह और श्वान सिंह भी भारत आजादी के मतवाले थे और करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में गदर पाटी के वरिष्ठ सदस्य थे।

बाल्यकाल से ही अपने घर में क्रांतिकारियों की मौजूदगी से भगत सिंह पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा। इन दोनों का ही ये असर था कि वे बचपन से ही अंग्रेजों से घृणा करने लगे थे। वहीं फिर 14 वर्ष की उम्र में भगत सिंह ने अपनी सरकारी स्कूलों की पुस्तकें और कपड़े जला दिए थे। जिसके बाद भगत सिंह के पोस्टर गांवों-गाँवों  में छपने लगे। 

इसके बाद 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह पर अमिट छाप छोड़ी। इसके बाद भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और 1920 में महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन में शामिल हो गए। इस आंदोलन में गांधी जी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे थे। 

महात्मा गांधी से मतभेद

वहीं भगत सिंह भी महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे अहिंसा आंदोलन और भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य थे। लेकिन जब 1921 में हुए चौरा-चौरा हत्याकांड के बाद गांधीजी ने हिंसा में शामिल सत्याग्रहियों का जब साथ नहीं दिया तो इस घटना के बाद भगत सिंह का गांधी जी से मतभेद हो गया। इसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में बने गदर दल में शामिल हुए। 9 अगस्त, 1925 को सरकारी खजाने को लूटने की घटना में भी उन्होंने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

काकोरी कांड और सेंट्रल असेंबली ब्लास्ट 

बता दें कि यह घटना इतिहास में काकोरी कांड नाम से मशहू है। इसमें उनके साथ रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद जैसे कई दिग्गज क्रांतिकारी शामिल थे। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अधिकाकी जेपी सांडर्स की भी हत्या कर दी थी। इस हत्या को अंजाम देने में चंद्रशेखर आजाद ने उनकी पूरी मदद की थी। फिर अंग्रेज सरकार को ‘नींद से जगाने के लिए’ उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली के सभागार में बम और पर्चे भी फेंके थे। इस घटना में भगत सिंह के साथ उनके क्रांतिकारी मित्र बटुकेश्वर दत्त भी शामिल थे। और यह जगह अलीपुर रोड दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली का सभागार थी। वे गिरफ्तार किये गए।

फिर लाहौर षड़यंत्र केस में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा सुनाई गई और बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया। इसके बाद भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ उन्हें भी फांसी पर लटका दिया गया। इन तीनों शेरों ने हंसते-हंसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान और फ़ना कर दिया। 

भगत सिंह एक लेखक 

एक दिलचस्प बात ये भी बता दें कि भगत सिंह सिंह सिर्फ आजादी के मतवाले ही नहीं थे। अपितु भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक, लेखक और पत्रकार भी थे। वे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, बंगला और आयरिश भाषा के बड़े विदूषक थे। उन्होंने 23 वर्ष की उम्र में आयरलैंड, फ्रांस और रूस की क्रांति का बड़ा ही गहरा अध्ययन, पठन और पाठन किया था। देखा जाए तो भगत सिंह भारत में समाजवाद के पहले  प्रवक्ता थे। 

भगत सिंह ने अपने जीवन का लगभग दो वर्ष जेल में बिताया। लेकिन जेल की कठिन यातना में में रहते हुए भी किताबों के प्रति उनका लगाव पहले जैसा बरकरार था। वे जेल में लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार अपने साथियों तक पहुंचाते रहे थे। उनके लिखे गए लेख और परिवार को लिखे गए पत्र आज भी उनके महान विचारों का जैसे एक आइना हैं। 

उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा और उसका संपादन भी किया। इतना ही नहीं उन्होंने ‘अकाली’ और ‘कीर्ति’ नामक दो अखबारों का संपादन भी किया। उनकी कृतियों के कई संकलन भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनमें ‘एक शहीद की जेल नोटबुक, सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज, भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज आदि प्रमुख हैं।

Bhagat singh death anniversary martyrs day shaheed diwas 2022

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Mar 23, 2022 | 06:00 AM

Topics:  

सम्बंधित ख़बरें

1

इधर दुनिया को ‘टैरिफ’ में उलझाए रहे ट्रंप…उधर बेटों ने डबल कर लिए पैसे, होश उड़ा देगा पाक कनेक्शन

2

हत्या के आरोपी ने अपने ही परिवार को बनाया बंधक, छुड़ाने गई पुलिस पर कुल्हाड़ी और दरांती से हमला

3

हल्दी के फ़ायदे हैं बेशुमार, पर इन लोगों के लिए हो सकता है बड़ा नुकसानदायक

4

एशिया कप के लिए दुबई पहुंचे भारतीय खिलाड़ी, कप्तान सूर्या के साथ हार्दिक ने भी भरी थी उड़ान

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.