कांग्रेस नेता राहुल गांधी व असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (फोटो- सोशल मीडिया)
Himanta Biswa Sarma vs Rahul Gandhi: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने राहुल को ‘देशविरोधी’ करार देते हुए कहा कि राहुल गांधी केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों का समर्थन करते हैं, भारतीयों के साथ उनका कोई जुड़ाव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर असम की सांस्कृतिक पहचान का अपमान करने का आरोप लगाया। सरमा का ये बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रहा है, खासकर प्रियंका गांधी की असम यात्रा की पृष्ठभूमि में।
सरमा ने कहा कि कांग्रेस न तो मां कामाख्या में आस्था रखती है और न ही असम के संत श्रीमंत शंकरदेव को सम्मान देती है। उनका आरोप था कि कांग्रेस केवल धुबरी क्षेत्र में रहने वाले कुछ अल्पसंख्यकों की राजनीति करती है, जबकि राज्य की सांस्कृतिक विरासत को पूरी तरह नजरअंदाज करती है। उन्होंने तंज कसा कि प्रियंका गांधी की यात्रा असम की महिलाओं के सामने कोई मायने नहीं रखती, जो खेतों में काम करती हैं और पारंपरिक मिठाइयां बनाकर समाज को सशक्त कर रही हैं।
राहुल गांधी पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों के नेता हैं। pic.twitter.com/AAYKjWdiCv
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 3, 2025
मुख्यमंत्री सरमा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “राहुल गांधी भारत-विरोधी व्यक्ति हैं। वह न केवल भारतीय हिंदुओं बल्कि भारतीय मुसलमानों के भी साथ नहीं हैं। उनका समर्थन केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों के लिए है।” हालांकि उन्होंने इस बयान का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस को असम विरोधी मानते हैं। उन्होंने कांग्रेस पर मां कामाख्या, रंग घर, चराइदेव और बटद्रवा जैसे असम के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों की उपेक्षा का आरोप लगाया।
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सरमा ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की असम यात्रा पर कहा, “असम की महिलाएं उनसे सौ गुना बेहतर हैं। वे पीठा बनाती हैं, खेतों में काम करती हैं और अपने बच्चों को शिक्षित करती हैं।” उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ऐसी महिलाओं से मुकाबला नहीं कर सकतीं। उन्होंने ये भी जोड़ा कि कांग्रेस नेताओं को असम की भावना की कोई समझ नहीं है। वे केवल धर्म आधारित वोटबैंक की राजनीति में रुचि रखते हैं। हिमंत बिस्वा सरमा का ये तीखा हमला न सिर्फ कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि असम में सांस्कृतिक पहचान का मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बनता जा रहा है।